एक समय हुआ करता था जब लोग अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद जो पहला काम करते थे वो होता था जिले में स्थित रोजगार पंजीयन कार्यालय में अपना पंजीयन करवाना । और हो भी क्यों न उस समय रिक्त स्थानों के लिए निकलने वाली भर्ती के लिए बुलावा पत्र आदि यथायोग्य विद्यार्थियों को भेजे जाते थे । और ये एक निश्चित रिवाज़ सा बना हुआ था ।
भारत सरकार द्वारा रोजगार अनिवार्य सूचना अधिनियम 1959 ,के अनुसार ही देश भर में रोजगार पंजीयन कार्यालयों की स्थापना की गई । आज देश भर में कम से कम एक हजार रोजगार पंजीयन कार्यालय हैं , किंतु यदि गौर से देखें तो पाते हैं कि इनमें से कोई भी कार्यालय ऐसा नहीं है जो इच्छुक अभ्यर्थियों को रोजगार की मंजिल तक पहुंचाना तो दूर उन्हें इसका मार्ग भी दिखाने में सक्षम हो । कितनी दुखद बात है कि देश का इतना बडा उपक्रम , इतने तामझाम , इतने संसाधनों , कर्मचारियों , धन के साथ काम तो कर रहा है किंतु आज अपने उद्देश्य में पूरी तरह विफ़ल होकर औचित्यहीन हो चुका है । आज इन रोजगार पंजीयन कार्यालयों का सिर्फ़ एक ही मकसद भर रह गया है कि कुछ ऐसी नियुक्तियां , जिनके लिए मंगाए जा रहे आवेदनों में इन पंजीयन कार्यालयों में पंजीकरण आवश्यक होता है , में आवेदन करने के लिए इनमें पंजीकृत होना जरूरी है । बस इसीलिए झक मारकर विद्यार्थियों को इस कार्यालय के चक्कर लगाने पडते हैं ।
इन रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत विद्यार्थियों की संख्या , मैट्रिक , स्नातक आदि के स्तर पर शिक्षित विद्यार्थियों की कुल संख्या , उसमें से रोजगार पा चुके और बेरोजगार बचे हुए विद्यार्थियों आदि की गणना का काम भी शायद ही होता हो । तो फ़िर ऐसे में ये विभाग सरकार के लिए , विद्यार्थियों के लिए , और समाज के लिए , सभी के लिए एक बेकार सी संस्था बन कर रह गया है , तो क्यों नहीं या तो इसे पूरी तरह ही बंद कर दिया जाए या फ़िर जिस उद्देश्य के लिए इनकी स्थापनी की गई थी उनके लिए इसे तैयार किया जाए ????? आपको क्या लगता है ??
सोमवार, 22 मार्च 2010
औचित्यहीन हो रहे हैं रोजगार पंजीयन कार्यालय
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बिल्कुल सही बात है भाई.
जवाब देंहटाएंबंद ही कर दें तो बेहतर..बेरोजगारों को एक जगह से तो राहत मिल जायेगी..यूँ भी क्या बन रहा है इससे!
जवाब देंहटाएं------------------
हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
बंद ही कर दें तो बेहतर.
जवाब देंहटाएंएक दम सही कह रहे हैं.
जवाब देंहटाएंआप कानून से जुड़े हुये हैं, इसलिये जानने की इच्छा हुई कि क्या "कुछ सरकारी नौकरी के लिये पंजीयन कार्यालयों में पंजीकरण आवश्यक" होने को किसी ने आज तक चैलेंज नहीं किया है ? आखिर इसकी उपयोगिता क्या है ?
जवाब देंहटाएंnewscg@gmail.com