पिछले कुछ वर्षों में देश में होने वाले अपराध दर में बहुत ही तेजी से वृद्धि हुई है । सबसे दुखद बात तो ये रही है कि बहुत समय तक अपराध और खून खराबे से दूर रहने वाले ग्रामीण प्रदेश भी धीरे धीरे इनकी चपेट में आते गए हैं । अपराधशास्त्र पर अध्य्यन और अन्वेषण करने वाले बताते हैं कि हालांकि सामाजिक असंतुलन , आर्थिक स्तर में बडा अंतर और इनसे जुडे और भी कई कारण हैं मगर एक बडा प्रमुख कारण है नशा । जी हां अपराध ब्यूरो रिकार्ड के अनुसार , बडे छोटे अपराधों, बलात्कार, हत्या, लूट, डकैती, राहजनी आदि तमाम तरह की वारदातों में नशे विशेषकर शराब के सेवन का मामला लगभग ७८ प्रतिशत तक है । और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध में तो ये दर ९७ प्रतिशत तक पहुंची हुई है । अपराधजगत की क्रियाकलापों पर गहन नज़र रखने वाले मनोविज्ञानी बताते हैं कि अपराध करने के लिए जिस उत्तेजना, मानसिक उद्वेग और दिमागी तनाव की जरूरत होती है उसकी पूर्ति ये नशा करता है जिसका सेवन एक उत्प्रेरक की तरह काम करता है मस्तिष्क के लिए ।
सबसे दुखद आश्चर्य की बात ये है कि सरकार और प्रशासन द्वारा ये बात भलीभांति जानने के बावजूद , आबकार , से होने वाली अथाह आर्थिक आय के लोभ के कारण मद्यपान को बढावा दिया जा रहा है । गांधी जी स्वतंत्रता के पहले और उसके बाद भी मद्यनिषेध के पक्षधर थे , मगर शायद कालांतर में सरकारों को और समाज को भी शराब के सेवन को बढावा देना ही ज्यादा श्रेयस्कर मार्ग लगा । और अब तो जैसे धीरे धीरे इसे और बढावा ही दिया जा रहा है । गली गली में खुलने वाले पब , शराब की दुकानें , आदि तो पहले से ही भरमार हैं अब तो सरकार की नई नीतियों के तहत विभिन्न किस्म की शराब घर पर ही और्डर पर उपलब्ध कराने की कमाल की योजनाएं भी बनाई गई हैं । इनके साथ साथ हर छोटे मोटे त्यौहार , उत्सव , किसी आयोजन , समारोह आदि पर शराब का सेवन तो जैसे एक संस्कृति और परंपरा सी बन गई है । इसका परिणाम ये हुआ है कि न सिर्फ़ बहुत सारे अपराध बल्कि आए दिन होने वाली सडक दुर्घटनाओं, हादसों आदि के लिए भी यही जिम्मेदार हैं । अब तो नकली शराब के सेवन की घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या में भी निरंतर वृद्धि हो रही है ।
आज जिस तरह से इसके सेवन की प्रवृत्ति बढ रही है , आज का युवा वर्ग , और अब तो महिलाएं भी से शराब के सेवन की आदि होती जा रही हैं ,उससे ये तो तय है कि आने वाले समय में इसके कुप्रभाव खुद उनको और उनके साथ साथ इस समाज को भी झेलने पडेंगे । बेशक अपराध के लिए नशे के सेवन के अलावा और भी बहुत से कारक जैसे , बेरोजगारी और आर्थिक असामनता भी जिम्मेदार हैं मगर चूंकि इनका हल तुरत फ़ुरत में ढूंढना तो कतई संभव नहीं है न ही नशे को इतनी जल्दी प्रतिबंधित करना आसान है , मगर अभी से इसे हतोत्साहित करने के लिए कुछ कदम तो उठाए ही जा सकते हैं । सरकार और प्रशासन अपना इतना बडा आर्थिक नुकसान उठाने को तैयार होंगे ऐसा लगता तो नहीं है इसलिए समाज को खुद ही इस दिशा में पहल करनी होगी , जैसा कि कुछ प्रांतों और स्थानों में महिलाओं ने एक मुहिम चला कर किया भी था । भविष्य में ये ऐसी मुहिम ज़ोर पकड लें तो ही कुछ परिवर्तन आ सकता है ॥
मंगलवार, 9 मार्च 2010
नशा है अपराध दर में वृद्धि का बडा कारण
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एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
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पर नशा खोर
जवाब देंहटाएंइसे पढ़ते हैं
उर्दू की तरह
और समझते
हैं शान।
सच्चाई की रोशनी दिखाती आपकी बात हक़ीक़त बयान करती है।
जवाब देंहटाएंबिलकुल हकीकत लिखी है आपने। शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंCraving for alcohol is very bad for both your health and society. Use natural supplement for alcohol addiction.
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