शनिवार, 23 जनवरी 2021

राष्ट्रीय बालिका दिवस : बेटियों के लिए है ये दुनिया

                          


भारत की बेटियां हर दिन सफलता के नए आयाम गढ़ रही हैं। खेल, शिक्षा, राजनीति, साइंस या कोई भी क्षेत्र हो सभी में तरक्की की सीढियां चढ़ रही हैं। 24 जनवरी उन्हीं का दिन है। यह दिन राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश की बेटियों की सफलताओं का जश्न मनाने के लिए यह दिन निर्धारित किया गया है। लेकिन, समाज में व्याप्त कुछ कुरीतियों की वजह से एक बहुत बड़ा तबका ऐसा है जो अपने अधिकारों के वंचित है। इस राष्ट्रीय बालिका दिवस पर उन लड़कियों के साथ हो रहे आसमान व्यवहार, शोषण या भेदभाव के प्रति उन्हें जागरूक किया जाता है।


समाज में व्याप्त असमानता के बारे में लड़कियों को जागरूक करना


पहली बार यह दिन महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा 2008 में मनाया गया था। इस दिन को मनाने के पीछे का लक्ष्य लड़कियों को नए अवसर प्रदान करना है और उन्हें उनके अधिकारों के बारे में बताना है। भारत सरकार का यह कदम युवाओं के बीच में लड़कियों के महत्व को बढ़ावा देना है। समाज का एक बहुत बस तबका ऐसा है जहां मौजूदा समय में लड़कियां असमानता, शिक्षा, पोषण, कानूनी अधिकार, चिकित्सा देखभाल, संरक्षण, विवाह, स्वतंत्रता, इत्यादि में असमानता का सामना कर रही हैं।


क्या है राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य?

 

राष्ट्रीय बालिका दिवस केवल लड़कियों तक ही सीमित नहीं है। यह पूरे देश और समाज के लोगों की चेतना बढ़ाने और समाज में बालिकाओं को नए अवसर प्रदान करने के लिए मनाया जाता है। यह दिवस सुनिश्चित करता है कि देश की बेटियों को उनके सभी मानवाधिकारों की जानकारी हो और उन्हें सम्मान मिले। इस दिन लोगों को लैंगिक भेदभाव के बारे में बताने और उन्हें शिक्षित करने का कार्य किया जाता है।   


जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत में लड़के और लड़की की संख्या में एक बड़ा अंतर है। हालांकि, पिछले कुछ सालों से यह लिंगानुपात घटा है। इसको बराबर करने के लिए हम सभी को सोच बदलनी होगी। समाज में लड़कियों के खिलाफ आए दिन हो रहे अत्याचारों को खत्म करना होगा और यह कार्य केवल सभी की सोच बदलने से होगा। इस दिन के माध्यम से सभी को बताया जाता है कि देश में एक लड़की का उतना ही महत्व है जितना एक लड़के का, बस जागरूक करने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का एक उद्देश्य यह भी है कि लड़की को उसके स्वास्थ्य और पोषण के बारे में शिक्षित किया जाए। 


भारत सरकार द्वारा बेटियों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाएं


भारत सरकार द्वारा देश की बेटियों की बेहतरी के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसमें कन्या भ्रूण हत्या पर रोक, बाल विवाह पर प्रतिबंध, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, अनिवार्य शिक्षा, सिंगल गर्ल चाइल्ड फ्री एजुकेशन आदि योजनाएं चलाई जा रही हैं। कुछ योजनाएं निम्नलिखित हैं: 


1. कन्या भ्रूण हत्या पर रोक


भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत भारतीय दंड संहिता की धारा 312 कहती है, ‘जो कोई भी जानबूझकर किसी महिला का गर्भपात करता है जब तक कि कोई इसे सदिच्छा से नहीं करता है और गर्भावस्था का जारी रहना महिला के जीवन के लिए खतरनाक न हो, उसे सात साल की कैद की सजा दी जाएगी’। इसके अतिरिक्त महिला की सहमति के बिना गर्भपात (धारा 313) और गर्भपात की कोशिश के कारण महिला की मृत्यु (धारा 314) इसे एक दंडनीय अपराध बनाता है। 


2. बाल विवाह प्रतिबंधित


भारत में बाल विवाह चिंता का विषय है। बाल विवाह किसी बच्चे को अच्छे स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा के अधिकार से वंचित करता है। ऐसा माना जाता है कि कम उम्र में विवाह के कारण लड़कियों को हिंसा, दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का अधिक सामना करना पड़ता। इसके अंतर्गत 21 वर्ष से कम आयु के पुरुष और 18 वर्ष से कम आयु की महिला के विवाह को बाल-विवाह के रुप में परिभाषित किया गया है। 


3. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना


बेटी बचाओ बेटी पढाओ एक अभियान है जो महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास ने मिलकर शुरू की है। इसका उद्देश्य भारत में लड़कियों को लेकर जागरूकता पैदा करना और कल्याणकारी सेवाओं में सुधार करना है। इस सरकारी योजना को 100 करोड़ की प्रारंभिक लागत के साथ 22 जनवरी, 2015 को शुरू किया गया था। 


इसके साथ ही अन्य योजनाएं जैसे सुकन्या समृद्धि योजना,  14 वर्ष की आयु तक लड़के और लड़कियों दोनों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा, लाड़ली लक्ष्मी योजना, बेटी है अनमोल योजना, कन्या विवाह अनुदान योजना आदि चलाई जा रही हैं।

#समाचार सूत्र और गद्यांश : हिंदुस्तान समाचार 

शनिवार, 9 जनवरी 2021

भ्रष्टाचार पर योगी सरकार का एक और हथौड़ा : प्रदेश में 18 हज़ार शिक्षकों की धोखाधड़ी निशाने पर

 


केंद्र से लेकर राज्य तक , भ्रष्टाचार , घपले , घोटाले बेईमानी के विरूद्ध मोदी जी  और योगी जी ने जो जुगलबंदी बिठा रखी है उसने तो लालची घूसखोरों  और भ्रष्टाचारियों की दुनिया में सुनामी सा कहर ला दिया है।  एक ने पहले ही कह दिया है न खाऊँगा न ही किसी को खाने दूँगा , झोला उठा कर चल दूँगा , जितनी भी देश सेवा करानी हो उसके लिए तत्पर हूँ , दूसरे ने तो मानो तन ही नहीं मन पर भी भगवा धार लिया है और और जैसे सौगंध उठा ली हो कि अब राम की नगरी अवध में पाप का कोई भी कारोबार तो न चल पाएगा।  

योगी आदित्यनाथ सरकार के , सख्त क़ानून और उसे पालन किये जाने की दृढ़ प्रतिबद्धता ने पिछले दिनों में देश की सबसे बड़ी आबादी को सम्भालने वाले राज्य को बखूबी और बहुत ही जरूरी तौर  पर न सिर्फ संभाला बल्कि आज देश में तेज़ी से विकास पथ की ओर बढ़ने वाले राज्यों में से अग्रिम पंक्ति में है उत्तर प्रदेश।  

प्रदेश में भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के अपने इसी मुहीम को अंजाम देने के दौरान , पिछले दिनों  प्रदेश के सभी महकमों के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की पूरी जानकारी , सेवा पुस्तिका , खाता आदि को कम्प्यूटरीकृत किए जाने की पहल शुरू हुई तो बहुत से विभागों में चल रही बहुत सारी खामियाँ और भ्रष्टाचार भी निकल कर सामने आया।  इसमें सबसे व्यापक था , शिक्षा विभाग के पास लगभग 18 , हज़ार शिक्षकों की कोई जानकारी का नहीं होना जो पिछले कई वर्षों से प्रदेश के विद्यालयों में नियुक्त होकर वेतन पा रहे हैं।  

प्रदेश के सारे विद्यालयों में नियुक्त सभी शिक्षकों के नाम और सारी जानकारी शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर उपलबध कराए जाने के लिए नियत तिथि  के बीत जाने के बावजूद भी , 18 हज़ार शिक्षकों की जानकारी न उपलब्ध हो पाना एक बड़े घोटाले की ओर इशारा कर रहा है जिसकी जांच अब विशेष एजेंसी को सौंप दी गई है।  

याद हो कि पिछले दिनों ऐसी बहुत सारी घटनाएं अलग अलग राज्यों में देखने पढ़ने को मिली थीं जिसमे नकली नाम , जानकारी और ऐसे ही किसी आधार पर लोग विभिन्न सरकारी विभागों में अपनी नियुक्ति दिखा कर सालों तक वेतन पाते रहे झारखंड में तो एक व्यक्ति के आठ आठ विभागों में कार्यरत होकर वेतन उठाने की बात का खुलासा हुआ था।  


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