मंगलवार, 5 मई 2020

देश्बंदी का तीसरा चरण और कोरोना का तीसरा स्टेज


शराब के लिए लगी ही लाइन 



अचानक से बिना किसी बहुत बड़ी योजना को बनाए  , बिना किसी ठोस चिकित्सकीय तैयारी के , और बिना किसी बहुत अचूक औषधि के देशबंदी को तीसरे विस्तार दिए जाने के बावजूद जिस तरह से पिछले इतने दिनों से इस लड़ाई से लड़ने के लिए जो लोग अपने अपने घरों में बंद होकर देश प्रशासन और समाज और खुद को भी बचाए रखे हुए लोगों की भावनाओं और उनकी जान के साथ खिलवाड़ किया गया और जा रहा है |


यदि एक पल को उसे मैं भूल भी जाऊं तो भी जब मैं उन हज़ारों चिकित्सकों , नर्सों , पुलिस वालों और कोरोना की लड़ाई में अपनी जान की बाजी स्वेच्छा से लगाने वालों और उनके घर परिवार वालों के बारे में सोच कर यही समझ पा रहा हूँ कि इस भूल .व्यग्रता ने उनकी मुश्किलें कितनी बढ़ा दी हैं | 

दूसरी तरफ विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्र सरकार का भी , अब रोजाना बहुत तेज़ी से कोरोना पीड़ितों की बढ़ रही संख्या , मौत के बढ़ते आंकड़ों के प्रति दिखाई जा रही उदासीनता भी बहुत ही निराशाजनक है  | 

और फिर सरकारों को ही अकेले क्यूँ दोष दिया जाए जो देश अभी कुछ दिनों पहले तक रामायण देख कर लहालोट हुआ जा रहा था ऐसा जता और बता रहा था मानो राम राज्य आ ही गया  | समाज के गरीब मजदूर को बढ़ चढ़ कर खिलाते हुए दया का सागर बना हुआ था वही समाज वही लोग शराब की दुकानें खुलते ही अपने असली रंग अपने असली चरित्र में आ गया |


मैं ये सोच रहा हूँ की विधाता आखिर अब इस संसार को बचाए ही क्यूँ  ? टिक टॉक के वीडियोज बनाने के लिए या फिर पूरे संसार को शराब के महासमुद्र में तैर कर वैतरणी पार करने के लिए | 

आज ये संसार अपनी नियति खुद तय कर रहा है और हमेशा की तरह इसमें वो भी शामिल होंगे जो इसके लिए प्रत्यक्ष रूप से भागीदार और जिम्मेदार नहीं हैं | हमें इससे और बहुत ज्यादा से भी बहुत अधिक बुरे और भयानक के लिए तैयार हो जाना चाहिए | 
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