सोमवार, 1 जनवरी 2024

कई सुधारों की दरकार में : कारागार प्रशासन व्यवस्था

 





अभी हाल ही में सुर्खियों में आया समाचार जिसमें एक फोन निर्माता कंपनी के मालिक जो एक आर्थिक अपराध में तिहाड़ केन्द्रीय कारागार में निरुद्ध है , आरोपी हरिओम राय से जेल में सुविधा दिए जाने के नाम पर जेल कर्मियों ने डरा धमका कर  पांच करोड़ रुपये वसूल लिए।  चिंताजनक  बात यह नहीं है कि देश की राजधानी दिल्ली और कभी आदर्श कारागार के रूप में माना जाने वाला तिहाड़ प्रशासन पर इस तरह से से आरोप लगा है।  

गंभीर बात तो ये है कि एक के बाद एक राजनेता सत्येंद्र जैन से लेकर ठगी के आरोपी सुकेश चंद्रशेखर जैसे कारागार में पहले से निरुद्ध आरोपियों ने जेलकर्मियों द्वारा इसी तरह के और इससे भी कई तरह के गम्भ्भीर अनुचित क्रियाकलापों की शिकायत की है।  ध्यान देने की बात ये भी है की है प्रोफ़ाइल विचाराधीन  बंदियों/आरोपियों से जेल कर्मियों द्वारा उगाही की ये कुछ वो घटनाएं हैं जो जाने अनजाने समाचार माध्यमों में आ गईं।  दूसरी ये कि जब आर्थिक कदाचार/भ्रष्टाचार आदि मामलों के ऐसे हाई प्रोफ़ाइल बंदियों के साथ यह सब घटित हो रहा है तो ऐसे में साधारण कैदियों की दशा का अनुमान लगाना सहज है।  

कारागारों की छवि किसी भी काल में समाज में अच्छी नहीं रही है किन्त ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में कारागार -यातना, सामूहिक दंड और मृत्यु दंड देने की कोठरी बन कर रह गई थी।  जेलों की अमानवीय हालातों को राजनैतिक बंदियों द्वारा  महसूस और अनुभव करने के बाद जेलों में दंड , प्रायश्चित और सुधार के लिए लाए गए बंदियों के लिए ,उन्हें रखे जाने से लेकर , उनसे श्रम और सेवा लिए जाने वाले , सुधारने के साथ साथ शिक्षा स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतें सुनिश्चित करने के लिए बाकायदा कारागार नीति नियमों को संहिताबद्ध कर दिया गया।  

कभी इसी तिहाड़ कारागार में बंदियों के सुधार और उन्हें मुख्य धारा में लाने के लिए विख्यात पुलिस प्रशासक किरण बेदी ने बहुत से नए प्रयोग और प्रयास किए थे।  आज वही केंद्रीय कारागार , थोड़े थोड़े समय बाद अपने व्यवस्थाओं की अनियमततताओं और कदाचार के लिए समाचार में आए तो ये दुःख और चिंता की बात है।  

कारागार तिहाड़ देश की राजधानी दिल्ली का केंद्रीय कारागार होने के साथ साथ देश के सबसे विशाल कारागार में से है।  कैदियों के वर्गीकरण के आधार पर तिहाड़ एक दर्जन से अधिक कारगार में बंदियों को निरुद्ध रखा जाता है।  इसमें गंभीर अपराधों में लिप्त आरोपियों , बंदियों, महिला बंदियों तथा राजनैतिक बंदियों के लिए अलग अलग कारागारों की व्यवस्था है।  

कारागार प्रशासन की विफलता से जुडी घटनाये प्रदेश के कारागार प्रशासनों के विषय में सामने आती रही हैं।  
ऐसी ही एक बड़ी घटना को पिछले दिनों पजाब राज्य के एक कारागार में अंजाम दिया गया था। बिहार का कारगर प्रशासन तो लालू यादव मामले में बाकायदा फटकार तक खा चुका है।  महाराष्ट्र , बंगाल , सहित और बहुत  से राज्यों की कारागारों से अनेक तरह की अनियमितताओं ,भ्रष्टाचार के समाचार सामने आते रहे हैं।  

चाहे छापे के दौरान बंदियों से मोबाइल मिलने की बात हो या फिर जेल के अंदर से ही बड़े गंभीर अपराधों की साजिश षड्यंत्र बनाने वाली बंदियों की गैंग की खबरें , जेल के अंदर चल रही पूर्व मंत्री की सेवा मालिश हो या अब वीवो के मालिक हरिओम राय से सुविधा शुल्क के रूप में लिया जाने वाला पांच करोड़ , हर घटना इस बात का इशारा कर करती है की केंद्रीय कारागार तिहाड़ प्रशासन में अब कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है।  

कारागार राज्य का विषय होता है इसलिए इसका दायित्व प्रदेश सरकार पर होता है।  राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और देश की सबसे संवेदनशील जेल होने के कारण भी ये बहुत जरूरी है कि केंद्रीय कारागार की सारी  व्यवस्थाओं को अधिक दुरुस्त व पुख्ता किए जाने विषयक सभी अनुशंसित उपायों पर त्वरित अमल किया जाए।  



लेखक स्वतन्त्र टिप्पणीकार हैं।  

बुधवार, 22 नवंबर 2023

गाँधी परिवार से वसूली शुरू : प्रवर्तन निदेशालय ने ज़ब्त किए 752 करोड़ मूल्य की संपत्ति

 


मोदी सरकार जिन दो बातों के लिए पहले ही दिन से नो टोलेरेंस की नीति अपनाए हुए थी वो थी आतंकवाद के विरुद्ध खड़े होना और दूसरी भ्रष्टाचार के खात्मे का संकल्प।  प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा था कि " देश और लोगों की संपत्ति में न तो खुद खाऊँगा और न ही किसी को खाने दूँगा।  उस वक्त शायद उन्होंने ये नहीं कहा था कि , अब तक जो खाया और अघाया घूम रहा हैं वो भी सारा निकाल लूंगा।  

मोदी सरकार के आते ही और सबसे बढ़कर शासन की नीति और प्रशासन का रुख देख कर सालों से घोटाले कर रहे , फर्जी धन्ना सेठ लोग अपने ऊपर क़ानून का शिकंजा कसता देख कर निकल भागे और ऐसा भागे कि आज तक विदेश में भागे भागे छिपे छिपे फिर रहे हैं और सरकार ने उन देशों से भी मित्र नीति के तहत वहां उनका जीना मुहाल किया हुआ है।  

इससे इतर राजनीति का चोला पहन कर , गरीबों के कल्याण और गरीबी हटाओ के नारों से दशकों तक देश  शासन करने वाले लोगों के घोटालों की जब फेहरिश्त खुली तो आज हालात ये हो गए कि , सब के सब , भ्रष्टाचार के हमाम में बिलकुल नंगे निकले।  आज सब के सब अदालतों से विभिन्न तरीकों और आधार पर जमानत लेकर अपनी खाल बचाने की जुगत में लगे हैं।  

देश की राजनीति में कभी एक रसूख रखने वाला गाँधी परिवार भी , आर्थिक अनियमितताओं और उससे भी अधिक इरादतन किए गए आर्थिक अपराधों में संलिप्तता के आरोप से खुद को नहीं बचा सका।  बार बार लोगों द्वारा उठाया गया प्रश्न कि बिना किसी , कारोबार व्यापार के आखिर गांधी परिवार की आय और संपत्ति में इतने दिनों तक इतना बड़ा इज़ाफ़ा कैसे होता रहा के उत्तर में लोगों को गांधी परिवार द्वारा किए ,कराए जा रहे घोटालों के सच के रूप  में सामने आया , 

ऐसा ही एक घोटाला है नेशनल हेराल्ड घोटला। नेशनल हेराल्ड की स्थापना और संपादन जवाहरलाल नेहरू ने भारत के पहले प्रधान मंत्री बनने से पहले किया था। अखबार ने 2008 में अपना परिचालन निलंबित कर दिया था क्योंकि उस पर ₹90 करोड़ से अधिक का कर्ज था, जिसे कथित तौर पर चुकाया नहीं गया था। वर्ष 2015 में श्री सुभ्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर एक शिकायती वाद में ये आरोप लगाया गया कि गाँधी परिवार ने गैर कानूनी तरीके से करोड़ों रुपये का लाभ कमाया।  

अदालत द्वारा मामले का संज्ञान लेकर मुकदमा चलाए जाने के विरुद्ध गांधी परिवार निचली अदालत से लेकर सर्वोच्च न्यायलय तक पहुंचा लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए और गांधी परिवार को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए गांधी परिवार की दलील खारिज कर मुकदमा जारी रखने का आदेश दिया।  यही कारण रहा कि राहुल सोनिया को जमानत याचिका दायर कर जमानत भी लेनी पड़ी तथा दोनों आरोपी अभी जमानत पर ही हैं।  

उधर प्रवर्तन निदेशालय ने लगातार  पूछताछ और जाँच के बाद कल गांधी परिवार की 752 करोड़ रूपए के मूल्य की संपत्ति ज़बात कर ली।  इस कार्रवाई को चुनाव से पहले सरकार द्वारा विपक्षी दलों पर दबाव बनाने जैसा ही घिसा पिटा राग बेशक कांग्रेस गा रही लेकिन लेकिन देश की जागरूक अवाम अब ये सारे खेल और दांव पेंच पहले ही देख चुकी है।  

समय आ गया है कि देर सवेर , ऐसे तमाम राजनैतिक अपराधी जिन्होंने देश और सरकारी कोष की संपत्ति अपने और अपनी परवारों के नाम कर ली उन्हें न सिर्फ उनके अपराध के लिए दंड मिले बल्कि ऐसी तमाम संपत्ति जब्त कर दोबारा राजकोष में जमा कर दिया जाए , 

गुरुवार, 9 नवंबर 2023

कोरोना से लेकर प्रदूषण तक : बेबस और बेकाम दिल्ली सरकार

 

कुछ वर्षों पूर्व जब पूरी दुनिया चीन द्वारा फैलाई गई महामारी कोरोना की चपेट में आकर पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ था।  उन दिनों भी दुनिया और देश भर में कुछ लोग व् सरकारें ऐसी भी थीं जिनके गैर जिम्मेदाराना व्यवहार , व्यवस्था और नीतियों के कारण दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में चिकित्सीय व्यवस्था की स्थिति और अधिक नारकीय व दयनीय होकर रह गई थी।

इन्ही में से एक रही दिल्ली सरकार और उनके नुमाइंदे।  कोरोना तो चलिए खैर बीती बात हो गई अभी दो माह पूर्व ही एक बार फिर से दिल्ली सरकार , मुसीबत पड़ते ही भाग खड़ी हुई और आदतन सारा ठीकरा दूसरों पर फोड़ दिया।  ये अवसर था जब पंजाब हरियाणा से होता हुआ अथाह वर्षा जल राजधानी दिल्ली में एक सप्ताह तक बाढ़ की त्रासदी ले आया।  दिल्ली सरकार चुपचाप तमाशबीन होकर सब देखते रहने के अलावा कुछ भी नहीं कर सकी।

उपरोक्त दोनों ही आपदाएं अचानक आईं थीं इसलिए हो सकता है की सरकार और मशीन री को इनसे निपटने के लिए पर्याप्त समय और संसाधन शायद नहीं मिल सका हो , परन्तु इन दिनों राजधानी क्षेत्र की भयंकरतम दूषित हवा से निपटने के दावे तो पिछले पांच सात वर्षों से किए जा रहे हैं परन्तु इसका परिणाम और प्रभाव वही -ढाक के तीन पात।

प्रदूषण को नियंत्रित करके वातावरण स्वच्छ किये जाने का लक्ष्य तो दूर ,हालात तो दिनों दिन अधिक भयावह होते जा रहे हैं और ऐसे में एक बार फिर से दिल्ली सरकार अपने ढाई करोड़ नागरिकों को इस वायु प्रदूषण से राहत  देने के लिए सिर्फ यही कारगर ऊपर लाइ है कि पड़ोसी राज्यों तथा केंद्र की भाजपा सरकार पर सारा दोष मढ़ दिया जाए।

इत्तेफाक से पिछले कुछ वर्षों से पंजाब सरकार द्वारा स्थानीय किसानों को पराली जलाने से नियंत्रित नहीं कर पाने के लिए पूर्व की कांग्रेस सरकारों को कोसने वाली आम आदमी पार्टी की ही अपनी सरकार पंजाब में भी बन जाने के बाद अब पंजाब पर दोषारोपण का खेल भी खटाई में पड़ गया है।

दीपावली के कुछ ही दिनों बाद जब महापर्व छठ पूजन के लिए सभी यमुना नदी और घाटों पर पहुँचेगे तो हर साल की तरह इस बार भी यमुना नहीं के भयानक प्रदूषण स्तर  की बात भी निकल फिर सामने आ जाएगी।  सरकार  पूरी तत्परता से केंद्रीय सरकार व् एजेंसियों पर सारा दोषारोपण करके इतिश्री कर लेगी।

असल में प्रदूषण सहित किसी भी बड़ी बुनियादी जरूरत और समस्या पर दिल्ली की राज्य सरकार ने कभी भी गम्भीरतापूर्वक कुछ नहीं किया यही वजह है कि अभी हाल ही में दिल्ली सरकार द्वारा प्रस्तावित रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ़ जैसे अव्यवहारिक योजना को न्यायपालिका ने बिना जांचे परखे दोबारा लागू करने से रोक दिया।  देखा जाए तो सरकार का इसमें कोई दोष भी नहीं है क्यूंकि जैसे जैसे कारनामे/घोटाले को अंजाम देने में राज्य सरकार और उसके नुमाइंदे लगे रहे उसके बाद प्रदूषण जैसे छोटी मोटी समस्याओं के लिए समय ही कहाँ मिल पाता है।

बहरहाल , थोड़े दिनों में तेज़ हवाएं और बारिश शायद दिल्ली और आसपास के क्षेत्र पर छाए धुंए और धुल के गुबार को काम और ख़त्म तो कर देंगे किन्तु इस बीच जाने कितने ही नवजात शिशु, वृद्ध और रोगी , स्वच्छ हवा में सांस की कमी के कारण असमय ही काल कवलित हो चुके होंगे और जाने कितने और इस कतार में शामिल हो जायेंगे।

यह बहुत दुखद स्थिति है कि , अपनी समस्याओं के समाधान खोजने और निपटने के लिए ही समाज अपने लिए सरकारोंब का गठन करती है , बड़े विशवास के साथ अपने मत देकर अपना प्रतिनिधि बना कर जिन्हें चुनती है वे सालों साल सरकार  में बने रहते हैं और उधर दूसरी तरह ये समस्याएं भी सालों साल यूँ ही बनी रहती हैं।

रविवार, 19 फ़रवरी 2023

ये देश जो भारत है , अब हिन्दुस्तान होना चाहिए : बाबा बागेश्वर के संकल्प के साथ सम्पूर्ण सनातन समाज

 




 

भूत पिशाच निकट नहीं आवे , महावीर जब नाम सुनावे।  भगवान हनुमान बजरंगबली के अनन्य भक्त बाबा बागेश्वर महाराज के हुंकार के साथ आज सम्पूर्ण सनातन समाज का मानस जिस तरह से जुड़ गया है वो एक संयोग भर नहीं है।  बाबा बागेश्वर महाराज का आज , बाबा बागेश्वर का तेज , प्रखर वाणी और लहू को जीवित कर देने वाली स्पष्ट बात।  एक तरुण सनातनी , बजरंगबली की हनमान चालीसा पढ़ते पढ़ते पूरे सनातन समाज को , उनकी चेतना को , सो चुकी धार्मिक निष्ठा को , भूल चुके अपनी अपार शक्ति  ,अकाट्य बल बुद्धि को बड़े प्यार से और बड़े ललकार से जगा रहे हैं , और यही आज सनातन विरोधियों और धर्म द्रोहियों को अखर रहा है।

हालात इतने अधिक दयनीय हैं कि , पूरे कायनात पर हरी चादर फैलाने को उद्धत ,जेहाद और फतवों के सहारे सबको डराने मिटाने वालों के साथ आज वे भी खड़े होकर सिर्फ रामायण ,रामचरितमानस का ही अपमान नहीं बल्कि स्वयं भगवान् पर भी लांछन उठा कर अपने संस्कारों में घुले विष प्रमाण दे रहे हैं।  आप सुनिए इस तरुण सन्यासी युवा हनुमान भक्त बाबा बागेश्वर महाराज की बातों को , देखिये उनको , उनके माध्यम से लाखों लोगो को हनुमान जी की भक्ति , स्नेह , प्रसाद पाए लोगों के सुकून को , सुख को और उन पर उनके विशवास को।

वो कहते हैं , अपने माँ और पिता की सेवा करो क्यूंकि वही ईश्वर हैं वही भगवान् हैं , सच भी तो है , वे चेताते हैं , अपनी बहनों माताओं को कि , आँख कान और मस्तिष्क सिर्फ इतना तो खुला जरूर रखो कि कल को तुम्हारे माँ ,  तुम्हारे पिता ,तुम्हारे भाई सबको तुम एक मृत देह भर के रूप में , कई बार सैकड़ों टुकड़ों में ,और कई बार तो वो भी नहीं तुम नहीं मिलो।  सबसे आसान है अपने माँ पिता परिवार और समाज पर विश्वास रखो न उंनसे बेहतर तुम्हारे लिए कोई नहीं सोचेगा।

अब वो कह रहे हैं कि इस देश को हिन्दू राष्ट्र हो जाना चाहिए , ये देश जो जम्बूद्वीप था उसे कब भारत से इंडिया बना दिया गया पता भी नहीं चला अब पिछले कुछ सालों से फिर से भारत सा दिख लग रहा है मगर ये जो , बीच बीच में उपद्रवी तत्व जिन्हें पुरातन काल में राक्षसी , शैतानी , विघ्नकारक जैसे रूपों नामों से जाना जाता रहा है आधुनिक काल में इन्हें सिर्फ एक ही बात से आसानी स्पष्ट पहचाना जा सकता है , ये द्रोही होते हैं , फुकरे एकदम निठल्ले , दुनिया के हर बात और काम में नकारात्मकता के वाहक , विध्वसंक वृत्ति के लोग , इसलिए समग्र विकास , संगठित समाज , सभ्य और संवेदनशील प्रशासन के लिए फिर यही होना चाहिए।

आज देश में राम का मंदिर और महादेव का प्रांगण बन रहा है कहीं कृष्ण सज रहे हैं कहीं खाटू वाले श्याम , कहीं जय माता दी हो रहा है तो कहीं बजरंग बली की जय , कालों की काल , माँ काली दुर्गा की हुंकार पताका चहुँ और लहराने को उद्धत है , और जिन्हें यही , बस यही तो कष्ट है , उनकी मति भ्रष्ट है।  देखिए मामला सिर्फ इतना सा है , बाबा बागेश्वर से लेकर बाबा रामदेव तक , सिर्फ एक ही मत एक मानस , एक ही प्रार्थना , एक ही आशीर्वाद , एक ही हुंकार , एक ही ललकार , एक ही सिर्फ एक , सबने अपना पकड़ रखा है ,जकड रखा है , तुम भी अपना और अपने धर्म के साथ रहो , कर्म धर्मनिष्ट हो।


 

शनिवार, 24 अप्रैल 2021

लाखों लोगों की मौत का जिम्मेदार है चीन

 



पूरी दुनिया में लाखों लोगों को मौत के मुँह में धकेलने के लिए ज़िम्मेदार , विश्व के सबसे धूर्त और दुष्ट राष्ट्र चीन को वैश्विक मंचों पर जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकना , इतनी सारी मौतों के लिए उसे कोई दंड तो दूर उसे इस अपराध का बोध तक न करा पाना , सारी वैश्विक सस्थाओं और शक्तियों के मुंह पर एक करारा तमाचा है। आज चीन इन सबसे निश्चिंत होकर आराम से बैठा हुआ है और दुनिया के सारे चौधरी बने फिरते देश सुइयां तलाशते फिर रहे हैं।  

रही बात भारत के वर्तमान हालात की , तो अनुमान तो पिछले बरस ही लगा लिए गए थे की दुनिया में इस बीमारी से सबसे ज्यादा लोग , लगभग 7 करोड़ लोग , पीड़ित होकर अपनी जान गँवा बैठेंगे।  बहुत लोगों ने मंसूबे भी शायद यही पाले हुए थे और देश से लेकर विदेश तक और बाहरी से लेकर अपनों तक की दोस्ती दुश्मनी के बीच भारत पहली लड़ाई जीत कर बाहर निकल ही आया था कि अब इस दूसरी लहर ने अधिक घातक दस्तक दे दी।  

हमारी कीड़े मकोड़े जैसे जनसंख्या , सालों से चला आ रहा कुप्रबंधन और कुव्यवस्था , आपदा विपदा के समय भी लोगों का धूर्त और स्वार्थपूर्ण आचरण , नियामक और नियंत्रक एजेंसियों का अभाव और सबसे अधिक सरकारों , प्रशासन , व्यवस्था में किसी भी तरह के तालमेल की भारी कमी।  ऐसे में भारत जैसे जनसंख्या विस्फोट वाले देश में यदि इस तरह का चिकित्स्कीय आपातकाल आकर सबको हैरान परेशान कर रहा है तो ये भारत की नियति है।  

लेकिन निकल तो हम इस आपदा से भी जाएँगे , तब तक खुद को सुरक्षित और स्वस्थ रखना ही अभी सबसे अधिक जरूरी है।  

शनिवार, 23 जनवरी 2021

राष्ट्रीय बालिका दिवस : बेटियों के लिए है ये दुनिया

                          


भारत की बेटियां हर दिन सफलता के नए आयाम गढ़ रही हैं। खेल, शिक्षा, राजनीति, साइंस या कोई भी क्षेत्र हो सभी में तरक्की की सीढियां चढ़ रही हैं। 24 जनवरी उन्हीं का दिन है। यह दिन राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश की बेटियों की सफलताओं का जश्न मनाने के लिए यह दिन निर्धारित किया गया है। लेकिन, समाज में व्याप्त कुछ कुरीतियों की वजह से एक बहुत बड़ा तबका ऐसा है जो अपने अधिकारों के वंचित है। इस राष्ट्रीय बालिका दिवस पर उन लड़कियों के साथ हो रहे आसमान व्यवहार, शोषण या भेदभाव के प्रति उन्हें जागरूक किया जाता है।


समाज में व्याप्त असमानता के बारे में लड़कियों को जागरूक करना


पहली बार यह दिन महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा 2008 में मनाया गया था। इस दिन को मनाने के पीछे का लक्ष्य लड़कियों को नए अवसर प्रदान करना है और उन्हें उनके अधिकारों के बारे में बताना है। भारत सरकार का यह कदम युवाओं के बीच में लड़कियों के महत्व को बढ़ावा देना है। समाज का एक बहुत बस तबका ऐसा है जहां मौजूदा समय में लड़कियां असमानता, शिक्षा, पोषण, कानूनी अधिकार, चिकित्सा देखभाल, संरक्षण, विवाह, स्वतंत्रता, इत्यादि में असमानता का सामना कर रही हैं।


क्या है राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य?

 

राष्ट्रीय बालिका दिवस केवल लड़कियों तक ही सीमित नहीं है। यह पूरे देश और समाज के लोगों की चेतना बढ़ाने और समाज में बालिकाओं को नए अवसर प्रदान करने के लिए मनाया जाता है। यह दिवस सुनिश्चित करता है कि देश की बेटियों को उनके सभी मानवाधिकारों की जानकारी हो और उन्हें सम्मान मिले। इस दिन लोगों को लैंगिक भेदभाव के बारे में बताने और उन्हें शिक्षित करने का कार्य किया जाता है।   


जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत में लड़के और लड़की की संख्या में एक बड़ा अंतर है। हालांकि, पिछले कुछ सालों से यह लिंगानुपात घटा है। इसको बराबर करने के लिए हम सभी को सोच बदलनी होगी। समाज में लड़कियों के खिलाफ आए दिन हो रहे अत्याचारों को खत्म करना होगा और यह कार्य केवल सभी की सोच बदलने से होगा। इस दिन के माध्यम से सभी को बताया जाता है कि देश में एक लड़की का उतना ही महत्व है जितना एक लड़के का, बस जागरूक करने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का एक उद्देश्य यह भी है कि लड़की को उसके स्वास्थ्य और पोषण के बारे में शिक्षित किया जाए। 


भारत सरकार द्वारा बेटियों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाएं


भारत सरकार द्वारा देश की बेटियों की बेहतरी के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसमें कन्या भ्रूण हत्या पर रोक, बाल विवाह पर प्रतिबंध, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, अनिवार्य शिक्षा, सिंगल गर्ल चाइल्ड फ्री एजुकेशन आदि योजनाएं चलाई जा रही हैं। कुछ योजनाएं निम्नलिखित हैं: 


1. कन्या भ्रूण हत्या पर रोक


भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत भारतीय दंड संहिता की धारा 312 कहती है, ‘जो कोई भी जानबूझकर किसी महिला का गर्भपात करता है जब तक कि कोई इसे सदिच्छा से नहीं करता है और गर्भावस्था का जारी रहना महिला के जीवन के लिए खतरनाक न हो, उसे सात साल की कैद की सजा दी जाएगी’। इसके अतिरिक्त महिला की सहमति के बिना गर्भपात (धारा 313) और गर्भपात की कोशिश के कारण महिला की मृत्यु (धारा 314) इसे एक दंडनीय अपराध बनाता है। 


2. बाल विवाह प्रतिबंधित


भारत में बाल विवाह चिंता का विषय है। बाल विवाह किसी बच्चे को अच्छे स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा के अधिकार से वंचित करता है। ऐसा माना जाता है कि कम उम्र में विवाह के कारण लड़कियों को हिंसा, दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का अधिक सामना करना पड़ता। इसके अंतर्गत 21 वर्ष से कम आयु के पुरुष और 18 वर्ष से कम आयु की महिला के विवाह को बाल-विवाह के रुप में परिभाषित किया गया है। 


3. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना


बेटी बचाओ बेटी पढाओ एक अभियान है जो महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास ने मिलकर शुरू की है। इसका उद्देश्य भारत में लड़कियों को लेकर जागरूकता पैदा करना और कल्याणकारी सेवाओं में सुधार करना है। इस सरकारी योजना को 100 करोड़ की प्रारंभिक लागत के साथ 22 जनवरी, 2015 को शुरू किया गया था। 


इसके साथ ही अन्य योजनाएं जैसे सुकन्या समृद्धि योजना,  14 वर्ष की आयु तक लड़के और लड़कियों दोनों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा, लाड़ली लक्ष्मी योजना, बेटी है अनमोल योजना, कन्या विवाह अनुदान योजना आदि चलाई जा रही हैं।

#समाचार सूत्र और गद्यांश : हिंदुस्तान समाचार 

शनिवार, 9 जनवरी 2021

भ्रष्टाचार पर योगी सरकार का एक और हथौड़ा : प्रदेश में 18 हज़ार शिक्षकों की धोखाधड़ी निशाने पर

 


केंद्र से लेकर राज्य तक , भ्रष्टाचार , घपले , घोटाले बेईमानी के विरूद्ध मोदी जी  और योगी जी ने जो जुगलबंदी बिठा रखी है उसने तो लालची घूसखोरों  और भ्रष्टाचारियों की दुनिया में सुनामी सा कहर ला दिया है।  एक ने पहले ही कह दिया है न खाऊँगा न ही किसी को खाने दूँगा , झोला उठा कर चल दूँगा , जितनी भी देश सेवा करानी हो उसके लिए तत्पर हूँ , दूसरे ने तो मानो तन ही नहीं मन पर भी भगवा धार लिया है और और जैसे सौगंध उठा ली हो कि अब राम की नगरी अवध में पाप का कोई भी कारोबार तो न चल पाएगा।  

योगी आदित्यनाथ सरकार के , सख्त क़ानून और उसे पालन किये जाने की दृढ़ प्रतिबद्धता ने पिछले दिनों में देश की सबसे बड़ी आबादी को सम्भालने वाले राज्य को बखूबी और बहुत ही जरूरी तौर  पर न सिर्फ संभाला बल्कि आज देश में तेज़ी से विकास पथ की ओर बढ़ने वाले राज्यों में से अग्रिम पंक्ति में है उत्तर प्रदेश।  

प्रदेश में भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के अपने इसी मुहीम को अंजाम देने के दौरान , पिछले दिनों  प्रदेश के सभी महकमों के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की पूरी जानकारी , सेवा पुस्तिका , खाता आदि को कम्प्यूटरीकृत किए जाने की पहल शुरू हुई तो बहुत से विभागों में चल रही बहुत सारी खामियाँ और भ्रष्टाचार भी निकल कर सामने आया।  इसमें सबसे व्यापक था , शिक्षा विभाग के पास लगभग 18 , हज़ार शिक्षकों की कोई जानकारी का नहीं होना जो पिछले कई वर्षों से प्रदेश के विद्यालयों में नियुक्त होकर वेतन पा रहे हैं।  

प्रदेश के सारे विद्यालयों में नियुक्त सभी शिक्षकों के नाम और सारी जानकारी शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर उपलबध कराए जाने के लिए नियत तिथि  के बीत जाने के बावजूद भी , 18 हज़ार शिक्षकों की जानकारी न उपलब्ध हो पाना एक बड़े घोटाले की ओर इशारा कर रहा है जिसकी जांच अब विशेष एजेंसी को सौंप दी गई है।  

याद हो कि पिछले दिनों ऐसी बहुत सारी घटनाएं अलग अलग राज्यों में देखने पढ़ने को मिली थीं जिसमे नकली नाम , जानकारी और ऐसे ही किसी आधार पर लोग विभिन्न सरकारी विभागों में अपनी नियुक्ति दिखा कर सालों तक वेतन पाते रहे झारखंड में तो एक व्यक्ति के आठ आठ विभागों में कार्यरत होकर वेतन उठाने की बात का खुलासा हुआ था।  


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