आज देश में नक्कालों की समस्या बहुत चुपके चुपके मगर बहुत तेज़ी से बढती ही जा रही है । कोई भी उत्पाद, कोई भी सामग्री , खान पान की वस्तुएं , दवाईयां आदि सभी में नक्काली का कारोबार खूब फ़लफ़ूल रहा है । कोई भी पर्व त्यौहार ऐसा नहीं है जब मीडिया द्वारा ये न दिखाया बताया जाता हो कि अमुक स्थान पर बहुत बडी मात्रा में नकली खोया पनीर और मिठाईयां पुलिस द्वारा पकडी गई हैं । नकली शराब के सेवन से लोगों के मरने की घटनाएं भी आए दिन होती ही रहती हैं ।और सबसे दुख की बात है कि सरकार अपना एक प्रिय नारा " नक्कालों से सावधान " लगा कर इतिश्री कर लेती है ।
यदि बाजार में खप रहे और खपाए जा रहे उत्पादों पर नज़र रख रहे विश्लेषकों की बात को सच माना जाए तो उनके अनुसार , आजकल बाजार में उपल्ब्ध दैनिक उपयोग की वस्तुओं , तेल , क्रीम , पाउडर , टूथपेस्ट , आदि में नकली उत्पादों का प्रतिशत ..18 प्रतिशत है , जबकि खाद्य वस्तुओं में नकली पदार्थों की मिलावट की दर तो लगभग 32 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है । और इस बात का अंदाज़ा तो एक आम आदमी को शायद ही हो कि बाज़ार में उपलब्ध दवाईयों में नकली दवाईयों का प्रतिशत जहां महानगरों में 17 से 22 प्रतिशत है तो वहीं दुखद बात ये है कि बिहार और उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में नकली दवाईयों का प्रतिशत लगभग 38 प्रतिशत तक पहुंच चुका है । यही हाल शीतल पेय के नाम पर बेचे जा रहे पेय पदार्थों के साथ भी है । पिछले कुछ समय में देश नकली और घटिया शराब पीने की वजह से लगातर हो रही मौतों ने भी बता दिया है कि नकली शराब की समस्या भी अब विकराल रूप धारण कर चुकी है ।
एक तरफ़ तो सरकर नकली वस्तुओं से सावधान रहने की सलाह देती है , किंतु खुद ही इस समस्या से आंखे मूंद कर लापरवाह या फ़िर किसी छुपे हुए फ़ायदे के लिए चुप बैठी रहती है । नकली खाद्य पदार्थों, नकली शीतल पेयों और सबसे बढकर नकली दवाईयां आखिर किस वजह से धीमा ज़हन न माना जाए कोई बता सकता है ? तो फ़िर हर बार नकली पदार्थ बेचते दुकानदार , इन्हें बनाने वाले लोग , पुलिस और कानून के हत्थे चढने के बावजूद किस तरह से बच निकलते हैं । उन्हें भी मासूमों की हत्या या हत्या के प्रयास जैसे जुर्मों की श्रेणी में रख कर क्यों नहीं क्ठोर दंड दिया जाता है ? इसका तो सीधा सा मतलब ये है कि सरकार , प्रशासन , संबंधित संस्थाएं सब के सब जानबूझ कर इस धंधे को फ़लने फ़ूलने दे रहे हैं । और फ़िर हो भी क्यों न आखिर नकली वस्तुओं का सेवन करने वाला वर्ग ....वही सबसे बडा वर्ग ....गरीब और मध्यम वर्ग ही तो है , तो उसके लिए पहले ही कब इस सरकार ने सोचा है जो अब सोचेगी । मगर मुझे लगता है कि आम लोगों को जब भी ऐसी दुकानों, ऐसे स्थानो, और ऐसी फ़ैक्ट्रियों का पता चलता है जहां ये नक्काली का कारोबार चल रहा है उसे खुद या समूह बना कर पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए ..यही इसका सबसे बेहतर उपाय है ॥
रविवार, 14 मार्च 2010
नक्कालों से सावधान ....मगर कौन हो सावधान ?
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ye hui na baat bahut hi dumdaar parastuti.
जवाब देंहटाएंsalaam ajay bhaiya...
meri slaah to yahi hai sabhi se sawdhaan raho...
जवाब देंहटाएंअपना एक प्रिय नारा " नक्कालों से सावधान
जवाब देंहटाएंकुछ नही होगा अजय भाई उन नक्कालों मे हम लोग ही तो हैं कहीं न कहीं से सब जुडे हुये हैं कौन अपने भाई भतीजे पर हाथ डालेगा। अब तो कोई फ्रिश्ता ही आये तो इसे मिटा सकता है। सलाह अच्छी है मगर बिल्ली के गले मे घन्टी कौन बान्धे?
जवाब देंहटाएंशुभकामनायेणं
इसका मनलब है कि
जवाब देंहटाएं'सवारी अपने सामान के लिए ख़ुद ज़िम्मेदार है"
अजय भाई! अब तो हाल ये है कि जिस दिन खाने में सब कुछ असली मिल जाता है पेट खराब और डाक्टर की नौबत आ जाती है।
जवाब देंहटाएंbadi mushkil se page khul saka hai..isliye tippanni me pichhad gaya... nakkal to hamare ratn hain, jinhe hame sammanit karna chahiye.. nakkal sri, nakkal bhooshan, nakkal ratn wagaira...
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