भारतीय रेल द्वारा लगभग हर साल शीतकाल से पहले ये दावा किया जाता है कि उत्तर भारत में छाने वाले कोहरे से निपटने के लिए बहुत सारे वैकल्पिक इंतज़ाम कर लिए गए हैं । किंतु ऋतु के शुरू होते ही रेलों के परिचालन में पहले अत्यधिक विलंब और फ़िर रोज़ाना दर्ज़नों रेलों को रद्द कर्दिया जाना एक नियति बन कर रह गई है ।
सबसे बडी विडंबना ये है कि प्रदूषण के बढते स्तर के कारण अब जहां कोहरे धुंध का प्रकोप ज्यादा बढ रहा है वहीं पूंजी की जरा भी कमी न होने के बावजूद इस स्थाई समस्या से निपटने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया जाता है । गौरतलब तथ्य ये है कि उत्तर भारत का क्षेत्र ही धुंध कोहरे से अधिक प्रभावित होता और संयोग से यही क्षेत्र सघन जनसंख्या वाला क्षेत्र भी है ।
रेलों के परिचालन में बहुत अधिक विलंब और अंतत: उनमें से बहुत के रद्द हो जाने से जहां रेल यातायात व्यवस्था बुरी तरह चरमरा जाती है । वहीं रोजगार की तलाश में निकले परीक्षार्थियों , गंभीर रूप से और तुरंत ईलाज़ पाने वाले मरीज़ , समारोहों उत्सवों में भाग लेने जाने वाले यात्रियों को रेल सफ़र की निर्भरता बहुत भारी पड जाती है । रेलों के विलंब से चलने के कारण जहां यात्रियों को भारी मुश्किल का सामना करना पडता है वहीं स्थिति तब अधिक नारकीय हो जाती है जब अपनी बरसों पुरानी कार्यशैली के अनुरूप न यात्रियों के लिए किसी विकल्प की व्यवस्था करना तो दूर उलटा उन्हें समुचित जानकारी तक मुहैय्या नहीं कराई जाती । वजह भी सीधी सी है , अपने ग्राहकों को समुचित सुविधा न देने के बावजूद भी रेलवे प्रशासन बिल्कुल बेखौफ़ और बेलगाम बना रहता है क्योंकि आम आदमी न तो सही जगह तक अपनी शिकायत पहुंचा पाता है और न ही उपभोक्ता अधिकारों का इस्तेमाल कर पाता है ।
देश का विज्ञानजगत बेशक विश्व में बहुत बडा अहम स्थान न पा सका हो किंतु इतना तो है ही कि आज विश्व भर में हो रहे प्रयोगों और खोजों में भारतीयों का भी योगदान है , चांद पर अन्वेषण की योजनाएं बन रही हैं , और सॉफ़्टवेयर में भारतीय इंजिनियरों की बढती ताकत से तो अमेरिका तक को रश्क हो रहा है । इसके बावजूद भी पिछले आधे दशकों में भारतीय रेल की इस शाश्वत समस्या से नहीं निपटा जा सका , या कहा जाए कि ईमानदार कोशिश ही नहीं की गई । इसका परिणाम ये रहा कि इन दिनों अपेक्षित रूप से रेल दुर्घटनाएं बढती रहीं और ये आज भी बदस्तूर ज़ारी हैं ।
भारत विश्व की महाश्क्तियों में गिने जाने को आतुर है तो ये निश्वय ही अच्छी बात है किंतु उसके लिए उसे निश्चित रूप से एक देश के विकास के लिए बुनियादी जरूरतों में से एक बहुत जरूरी परिवहन व्यवस्था को बिल्कुल चुस्त दुरूस्त करना ही होगा । मौजूदा समय में तो प्रदूषण के बढते जाने के कारण इस धुंध की समस्या को गंभीरता से लिया जाना चाहिए । देश के भावी विज्ञानियों और विज्ञान अन्वेषकों को भी इस समस्या से निज़ात पाने के लिए प्रयोगों पर ध्यान देना चाहिए , अन्यथा ये एक नासूर का रूप ले लेगा ।
यह हमारा भारत देश हैं जो वादों से चलता है और किसको किसी चिंता ?
जवाब देंहटाएंAur is business pollution ke baare me kya vihaar hai....
जवाब देंहटाएंजस्ट डायल डॉट कॉम धोखाधड़ी, लूट खसोट Just Dial.com Scam/ Fraud