सतर्क रहने का समय
जैसी कि आशंका व्यक्त की जा रही थी कि वर्तमान मेम देश के राजनीतिक
परिदृश्य के उथल पुथ को देखते हुए भारत के सभी पडोसी देश अपनी फ़ितरत के
अनुसार देश की सीमा पर अपनी नापाक गतिवधियां बढाएंगे । पिछले कुछ महीनों से
अति महात्वाकांक्षी और चिर धूर्त राष्ट्र चीन ने सीमा पर जैसी घुसपैठ व
दु:साहस शुरू किया है उससे आश्चर्य हो न हो किंतु इतना तो जरूर है कि ये
सरकार , सेना व सुरक्षा एजेंसियों के लिए सतर्क हो जाने का समय है ।भारत
के दूसरे पडोसी देश पाकिस्तान ,जहां चुनाव के बाद नवाज शरीफ़ और ममनून हसन
जैसे कम आक्रामक छवि वाले राजनीतिज्ञों द्वारा बागडोर संभालने से ये उम्मीद
की जा रही थी कि शायद स्थिति में कुछ बदलाव हो मगर घुसपैठ और फ़ायरिंग से
हमारे पांच सैनिकों को गोली मारने जैसा कृत्य बता रहा है कि कहीं कुछ भी
नहीं बदला है । गौर तलब है कि अगले महीने ही दोनों देशों के बीच शांति
वार्ता भी प्रस्तावित है । भविष्य में देश में होने जा रहे आम चुनावों के
मद्देनज़र अलगाववादी व आतंकी संगठन भी अपनी हरकतों को अंज़ाम देने की पुरज़ोर
कोशिश करेंगे । ऐसे में ये बहुत जरूरी हो जाता है कि भारत अंतरराष्ट्रीय
स्तर पर इन सबका न सिर्फ़ दृढता से जवाब दे बल्कि सेना व सुरक्षा एजेंसियों
को हाई अलर्ट पर रख दिया जाए ।
निर्रथक संसद सत्र
संसद का मानसून सत्र शुरू हो चुका है और सरकार तथा विपक्षी दलों
द्वारा बार-बार संसद को गंभीरतापूर्वक चलाए जाने की प्रतिबद्धता ज़ाहिर करने
के बावजूद इस बार भी स्थिति बहुत बेहतर नहीं दिखाई दे रही है । ज्ञात हो
कि सरकार ने पहले ही कहा था कि इस बार उसके आस अध्यादेश तथा चवालीस विधेयक
विचार/बहस के लिए प्रस्तावित हैं किंतु तेलंगाना के मुद्दे पर जिस तरह से
पहले ही दिन खुद कांग्रेसी सांसदों ने हंगामा करके संसद ठप्प कर दी वह बेहद
अफ़सोसनाक बात है । हालांकि इस बार संसद के मानसून सत्र को
तीन दिन अधिक चलाए जाने की बात की जा रही है किंतु संसद की वर्तमान
कार्यवाही और जनप्रतिनिधि , सांसादों के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार को देखते
हुए आम जनता को यही लग रहा है कि निर्धारित दिनों के अलावा विस्तारित तीन
दिन भी व्यर्थ ही जाएंगे। पिछले कुछ वर्षों में ये जानते हुए भी कि संसद
सत्र के दौरान लाखों रुपए का व्यय अवाम की गाढी कमाई से जुटाए गए राजकोष से
ही किया जाता है , जनप्रतिनिधियों का ऐसा रवैया न सिर्फ़ लोकतंत्र का अपमान
है बल्कि राजकोष के धन के दुरूपयोग का नैतिक अपराध भी है । ये संचार का
युग है और पूरा विश्व समूह आज भारत की ओर नज़र गडाए बैठा है ऐसे में इस तरह
का आचरण देश व राष्ट्रीय\अंतराष्ट्रीय राजनीति के लिए आत्मघाती ही साबित
होगा ।
सच में स्थिति चिंतनीय है.....
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मोनिका जी :)
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