मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

ताबूत में आखिरी कील ठोंकने का यही सही वक्त है ... आज का मुद्दा








अपने होशोहवास में शायद ये ऐसा पहली बार देख रहा हूं कि आम जनता भ्रष्टाचार को एक नासूर मान कर उसे उखाड फ़ेंकने के लिए तत्पर हो गई है । हालांकि पिछले कुछ समय में जिस तरह से सरकारी कुशासन , घपलों घोटालों में सबकी लिप्तता , प्रधानमंत्री , राष्ट्रपति तक का मजबूर होने का राग , प्रशासन , विधायिका , न्यायपालिका तक तक में भ्रष्टाचार अपने चरम पर पहुंचती दिखाई दी है उसके बाद तो अपेक्षा ये की जानी चाहिए थी कि पूरा देश सडकों पर उतर जाता और खींच खींच के उतार फ़ेंकता इन्हें इनके जड समेत । लेकिन लोकतांत्रिक देश के विशेषकर भारत जैसे देश के नागरिकों को हमेशा से ही किसी उत्प्रेरक की प्रतीक्षा रहती है । और ऐसा न हो पाने की एक दूसरी बडी वजह ये रही है कि कहीं न कहीं इन खास पदों पर बैठे भ्रष्टाचारियों के साथ ही आम आदमी कहीं मजबूरी में , कहीं किसी और बहाने से खुद को भी इसमें लिप्त पाता है और ऐसा दिखाई देता है मानो भ्रष्टाचार वो रक्त है जो पूरे देश की रगों में बह रहा है । लेकिन ऐसा है नहीं , वास्तव में अब भी हर महकमें और संस्थान में कुछ जुनूनी लोग हैं जो जाने किस जिद्द को अपने सिर माथे लगाए हुए पूरी दृढता के साथ न सिर्फ़ अपने आसपास चल रहे घिनौने भ्रष्टाचार से अलग हैं बल्कि अपना पूरा जोर लगा कर उसके खिलाफ़ सीना ताने खडे हैं । बस जरूरत इस बात की है कि उन मजबूत हाथों और कंधों पर विश्वास जताया जाए और कम से कम उन्हें इस डर से मुक्त कर दिया जाए कि इस भ्रष्टाचारी दलदल में इतनी ताकत नहीं है कि वो उन्हें भी खींच सके और अब ये काम शुरू हो चुका है ।





आज आम आदमी ये जानते हुए कि वो खुद कहीं कहीं इस भ्रष्टाचारी तंत्र को मजबूत बनाने में उसे ऐसे ही दिनोंदिन ताकतवर होने देने के लिए जिम्मेदार है , ये भी जानते हुए कि सवा अरब की जनसंख्या वाले देश में खासकर जब वो देश ,धर्म जाति , भाषा ,क्षेत्र और जाने किन किन बहानों से बंटा और बांटा गया हुआ हो और ऊपर से अशिक्षा , भूख , बेरोजगारी , कुपोषण जैसी बुनियादी समस्याओं से ही जूझ रहा हो , वो देश जो हर बार चुनाव से पहले कुछ नया कर पाने की कोशिश करता है और हर बार चुनाव के बाद खुद को ठगा हुआ पाता है वो आम आदमी अब सच में ही अपनी इस विवशता पर झुंझला गया है , एक उकताहट है मन में कि अब बस , बहुत हुआ । आज अन्ना हज़ारे और उनसे जुडी हर आवाज़ ने न सिर्फ़ ऊपर गद्दी पर फ़ैल के बैठे हुए देश के निहायत ही घटिया आचरण वाले राजनेताओं को संदेश दे दिया है बल्कि आम आदमी और पूरे देश को भी ये जता और बता दिया है कि अब सही समय आ गया है कि आम आदमी अपनी ताकत को पहचाने । अपने अंदर , अपने आसपास , पनप रहे हर छोटे बडे भ्रष्टाचार पर अपनी पूरी ताकत से , पूरी योजना से उसकी बखिया उधेड कर रख दे । ऐसा हो सकता है कि , यदि ऐसा करते हुए आपके हाथ खुद भी जलें , हो सकता है कि इसकी जलन आपके उन तक भी पहुंचे जिन्हें आप अपना कहते मानते हैं , और इसके बाद बहुत कुछ ऐसा देखने सुनने को मिले जो अप्रत्याशित हो अंचंभित करने वाला हो । लेकिन एक बात याद रखिएगा कि कल को जब आपकी संतानें भी खुद को इसी भंवर में फ़ंसा हुआ पाएंगी और शायद कोई और अन्ना हज़ारे ऐसी ही किसी स्थान पर किसी लडाई की शुरूआत करेगा तो एक बार ये जरूर सोचेगा कि आखिर वो कौन सी मजबूरी थी हमारी कि हम चुपचाप ये सब होता देखते रहे ।





मुझे और मुझ जैसे हज़ारों लाखों लोगों को ये नहीं पता कि हमारा उपवास , जंतर मंतर पर हमारी मौजूदगी , अन्ना के साथ दिखाया गया हमारा साथ कल कौन सी सूरत बदलेगा और कुछ बदलेगा कि भी नहीं लेकिन अब दो बाते तो जरूर ही तय हो चुकी हैं । पहली ये कि ये संतोष तो जरूर रहेगा कि आखिर किसी न किसी जगह पर हमने वो काम करने की कोशिश तो की जो मन के भीतर बैठा कोई जाने कब से कहने के लिए कह रहा है । दूसरी बात ये कि , अब ये जबकि ये चिंगारी सुलग उठी है तो फ़िर अपने छोटे छोटे प्रयासों से उसे दावानल का रूप देने में कोई कोर कसर नहीं छोडेंगें । मैंने रास्ता भी चुन लिया है ..वो है भ्रष्टाचार के ढके छुपे रूप को सरेआम नग्न करना । अब इसके लिए चाहे मुझे सूचना के अधिकार का उपयोग करना या करवाना पडे , या फ़िर कोई ऐसी तरतीब लडानी पडे कि जिससे भ्रष्ट और भ्रष्टचार नग्न होकर लोगों के सामने अपनी लाज छुपाने को मजबूर हो जाए , तो वो कोशिश मैं करता ही रहूंगा और तब तक करता रहूंगा जब तक कि व्यवस्था मुझसे आज़िज़ आकर खुल कर एक पक्ष ले ..या तो उन भ्रष्टाचारियों के साथ हो या फ़िर उनके साथ जो इसे मिटाना चाहते हैं । मुझे यकीन है कि ऐसी कोशिश ही एक न एक दिन , आपस में जुड कर एक बडे आंदोलन का रूप लेगी और फ़िर जिस दिन लोग ये भूल जाएंगे कि भ्रष्टाचारी सिर्फ़ भ्रष्टाचारी होता है , अपना या दूसरे का अपना नही , उसी दिन से व्यवस्था में सफ़ाई शुरू हो जाएगी । हां इसके लिए कुछ कीमत तो जरूर ही चुकानी होगी लेकिन कल को मेरी संतान को फ़िर से नए सिरे से इसी लडाई को शुरू करना पडे उससे बेहतर यही होगा कि मैं उसे इतना दे दूं कि वो उस लडाई को आगे बढाए । ........क्या आप भी तैयार हैं इस लडाई को लडने के लिए ....???????????????????

9 टिप्‍पणियां:

  1. सही फरमा रहे हैं...निश्चित ही इस संघर्ष में साथ देना होगा.

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  2. अति कर चुके है ये भ्रष्टाचारी अब तो इनके खिलाफ निर्णायक युद्ध के लिए उतरना ही होगा |

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  3. बिलकुल सही कहा... आखिर कब तक चुप रहेंगे?

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  4. amooman 25 ek post anna ke nam par
    padhe......jo sahajta se likhe the....sahisnuta se samjhe......lekin
    apke tewar.....suresh bhaw aur girijesh raw se milne ke karan....
    mare hue samvednaon me 'kasmasaht' si hoti hai....anna ke piche apne kadam
    na dal pane se........khud par khij bhi hoti hai......

    lahar banao bhaijee boond bankar saath denge........

    pranam.

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  5. आप लाभदायक जानकारी देते हैं .
    आज आपके ब्लॉग का लिंक 'ब्लॉग कि ख़बरें ' ब्लॉग पर लगाया जा रहा है .
    http://blogkikhabren.blogspot.com/

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  6. हर वो भारतवासी जो भी भ्रष्टाचार से दुखी है, वो देश की आन-बान-शान के लिए समाजसेवी श्री अन्ना हजारे की मांग "जन लोकपाल बिल" का समर्थन करने हेतु 022-61550789 पर स्वंय भी मिस्ड कॉल करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे. यह श्री हजारे की लड़ाई नहीं है बल्कि हर उस नागरिक की लड़ाई है जिसने भारत माता की धरती पर जन्म लिया है.पत्रकार-रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"

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मुद्दों पर मैंने अपनी सोच तो सामने रख दी आपने पढ भी ली ....मगर आप जब तक बतायेंगे नहीं ..मैं जानूंगा कैसे कि ...आप क्या सोचते हैं उस बारे में..

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