महामारी का नया रूप : मधुमेह.....आज का मुद्दा
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चित्र , गूगल से साभार |
पिछले कुछ समय में विश्व स्वास्थय संगठन ने भारत जैसे बहुत से देशों को ये चेतावनी दी है कि आने वाले समय में मधुमेह का प्रकोप इतना बढने वाला है कि वो एक महामारी जैसा रूप ले लेगा । एक अनुमान के मुताबिक अगले ही कुछ सालों में सिर्फ़ भारत में ही साढे चार करोड लोग डायबिटीज यानि मधुमेह की चपेट में आ चुके होंगे । खुद भारत के स्वास्थय मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार , वर्ष २०१५ तक देश में मधुमेह के मरीजों की संख्या लगभग ४.५८ करोड तक हो जाएगी , जिसमें आश्वर्यजन रूप से १.३२ करोड लोग तो सिर्फ़ ग्रामीण भारत से होंगे । रिपोर्ट के अनुसार देश में होने वाले कुल स्ट्रोक के मामलो में से तीस प्रतिशत के लिए भी मधुमेह ही जिम्मेदार है ।
नेशनल हेल्थ प्रोफ़ाइल-२०१० नाम से तैयार स्वास्थय मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि २०१० मेम कुल ३.७६ करोड लोग डायबिटीज से ग्रसित थे । एक अनुमान के मुताबिक यदि ये बीमारी इसी दर से बढती रही तो बहुत जल्दी ही पांच करोड तक का आंकडा भी छू लेगी । स्वास्थय मंत्रालय के अनुसार अगले चार वर्षों में गांव और शहरों में रहने वाले करीब पच्चीस लाख युवा मधुमेह की चपेट में होंगे । और इसमें भी सबसे ज्यादा संवेदनशील स्थिति बीस से लेकर तीस की उम्र के युवाओं की होगी । जबकि सबसे ज्यादा इसकी चपेट में , लगभग १.२८ करोड लोग जो इसकी चपेट में आएंगे वे पचास से लेकर साठ की उम्र के होंगे । ये स्थिति किसी भी देश के चिकित्सकीय भविष्य के लिए एक गंभीर चुनौती है ।
इसके कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा गया है कि इसका सबसे बडा कारण है इंसान की दिनचर्या और खान पान की आदत में आमूल चूल बदलाव । कभी जो समाज अपने दैनिक आहार में , दाल चावल , चपाती, हरी साग सब्जी का सेवन करता था अब फ़ास्ट फ़ूड , शीतल पेय पदार्थों को एक नियमित भोज्य विकल्प के रूप में अपना चुका है । खाद्य पदार्थों में मिलावट तथा रासायनिक खाद के उपयोग ने उसकी गुणवत्ता और पौष्टिकता में बहुत कमी ला दी है । जो भोज्य पदार्थ उपलब्ध भी हैं वे भी दिनों दिन महंगाई के कारण आम आदमी की पहुंच से दूर होते जा रहे हैं , यही वजह है कि पांच रुपए में बर्गर जैसा फ़टाफ़ट और तैयार भोजन ही लोगों की आदत में शुमार होता जा रहा है । ग्रामीण क्षेत्र भी अब इससे अछूते नहीं रहे हैं ।
इस बीमारी से जूझने में एक अन्य बडी समस्या है इसके इलाज का बेहद मंहगा व खर्चीला होना । चिकित्सा विशेषज्ञ ये मानते हैं कि चूंकि इसका इलाज नियमित और बरसों तक चलता है इसलिए भी आम आदमी लगातार दवाई , इंजेक्शन का खर्च उठाते उठाते बहुत बडे आर्थिक बोझ को ढोने पर मजबूर हो जाता है । स्वास्थय मंत्रालय बहुत जल्दी ही इसे एक मिशन की तरह लेने की तैयारी में है ताकि आने वाले समय में स्थिति को भयावह बनने से रोका जा सके । लोगों को भी अब खानपान की बदलती हुई प्रवृत्ति पर रोक लगानी चाहिए और जंक फ़ूड की गिरफ़्त में आने से अपने बच्चों को यथासंभव बचाने की कोशिश करनी चाहिए ।
राजनीति,समाज,कानून आदि की सफाई करते हुए आप स्वास्थ्य जैसे गंभीर मुद्दे को बड़े अच्छे तरीके से उठा रहे हैं,यह आप जैसा बहुमुखी प्रतिभावान ही कर सकता है !
जवाब देंहटाएंवाकई,इस मसले पर सामाजिक चेतना की भी ज़रूरत है !
सचमुच, आजकी भागमभाग भरी जिंदगी ने इसे महामारी ही बना दिया है।
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हंसते रहो भाई, हंसाने वाला आ गया।
अब क्या दोगे प्यार की परिभाषा?