ये पोस्ट पूरी तरह से मोबाईल से ब्लॉग पोस्ट बना कर प्रकाशित की जा रही है और दूसरी विशेष बात ये कि सारा आलेख (पूरा टैक्स्ट ) मोबाइल के ऑडियो इन पुट से बोल कर टाईप की गयी है , बिलकुल आसानी से
कुछ
दिनों पहले दिल्ली में एक चुटकुला काफी प्रसारित हुआ था जिसमें हमारे
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ध्यान मग्न होकर यह कहते हुए दिखाया गया था
कि यदि आप से कोई गलती हो जाए तो आप बिल्कुल ना घबराऐं सिर्फ थोड़ी देर तक
चुप बैठे और यह सोचो कि यह आरोप आपको किस पर लगाना है।। आज कमोबेश राजधानी
दिल्ली की प्रशासकीय और बीमार चिकित्सकीय स्थिति यह इशारा कर रही है कि
दिल्ली अनाथ है ।।न कोई मालिक न कोइ खैर मख्दम......... हैं तो बस
चिकनगुनिया , डेंगू , मोहल्ला क्लिनिक की डेढ़ किलोमीटर और अस्पतालों की कई
किलोमीटर लम्बी लाईनों में व्यस्त खड़ा तीमारदार और वहीं पस्त पड़ा बीमार
....अनाथ , निर्बल , रोगी और कहीं कहीं मृत भी .....
एक
तरफ माननीय न्याय पालिका के फैसलों द्वारा प्रमाणित राज्य प्रमुख माननीय
गवर्नर साहब इन चित्रों व समाचारों से गायब नजर आते हैं जिन चित्रों में
चीख चीख कर यह बताया व दिखाया जा रहा होता है कि डेंगू मलेरिया व
चिकनगुनिया जैसी बीमारियां महामारी का रूप लेती जा रही है और बरसों पहले की
तरह लोग मर रहे।। वहीं दूसरी तरफ सरकार के तमाम मंत्री व अधिकारी तक
किसी ना किसी बहाने ,कोई चुनाव प्रचार के बहाने तो ,कोई प्रशिक्षण के बहाने
फील्ड को छोड़कर अन्य स्टेशनों पर व्यस्त हैं और इतना ही नहीं वहां से
सेल्फी पोस्ट कर रहे ।
हालात
इतने तक ही बदतर होते तो कोई बात ना थी किंतु इस से भी कहीं अधिक आगे
जाकर अधिनस्थ संस्थाएं जैसे कि एंटी करप्शन ब्यूरो व राष्ट्रीय महिला आयोग
तक आपसी खींचतान व नोटिस और मुकदमे बाजी में व्यस्त हैं वह तो शुक्र मनाना
चाहिए प्रकृति और बरसात का कि पूरे देश भर के हालातों के ठीक उलट राजधानी
दिल्ली में अभी भी बहुत अधिक बरसात दर्ज नहीं की गई है अन्यथा पिछले दिनों
जरा सी बारिश से उत्पन्न जाम राष्ट्रीय सुर्खी बन गई थीं ।
इन
परिस्थितियों में भी यदि सभी सार्वजनिक संस्थाएं व सभी सार्वजनिक व्यक्ति
यदि इसी तरह का आचरण करेंगे वह समस्याओं के समाधान से अधिक एक दूसरे पर
दोषारोपण वह विफलताओं से सबक सीखने की आदत में लगे रहेंगे तो निसंदेह
स्थिति खतरनाक से नारकीय हो जाएगी।
केंद्र सरकार जो एक तरफ स्वच्छता को एक राष्ट्रीय मिशन के रूप में लेकर
पूरे देश भर में इसे केंद्रित करके अनेकों योजनाएं चला रही है वह भी
राजधानी दिल्ली में बढ़ती इस महामारी के प्रति उदासीन वह उपेक्षित व्यवहार
कर रही है अफसोस की बात यह है की इन परिस्थितियों का सबसे अधिक शिकार वह इस
बदहाली व्यवस्था का नारा सबसे अधिक वही गरीब होता है हो रहा है जो इसने आम
आदमी पार्टी पर सबसे ज्यादा विश्वास जताया था अब देखना यह है कि आने वाले
समय में कौन लोग यह कौन सी पार्टी कौन से अधिकारी आगे आकर इन स्थितियों से
निजात दिला कर दिल्ली वालों को राहत पहुंचा सकेंगे फिलहाल तो दिल्ली
वासियों की स्थिति अनाथों जैसी ही है
आपसी खींचतान छोड़ पहले जनता के हालचाल देखना चाहिए, बाद में भले ही लड़ते रहो। . लेकिन कहाँ मानते राजनेता। ...
जवाब देंहटाएंसार्थक चिंतनशील प्रस्तुति