पूरी दुनिया में लाखों लोगों को मौत के मुँह में धकेलने के लिए ज़िम्मेदार , विश्व के सबसे धूर्त और दुष्ट राष्ट्र चीन को वैश्विक मंचों पर जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकना , इतनी सारी मौतों के लिए उसे कोई दंड तो दूर उसे इस अपराध का बोध तक न करा पाना , सारी वैश्विक सस्थाओं और शक्तियों के मुंह पर एक करारा तमाचा है। आज चीन इन सबसे निश्चिंत होकर आराम से बैठा हुआ है और दुनिया के सारे चौधरी बने फिरते देश सुइयां तलाशते फिर रहे हैं।
रही बात भारत के वर्तमान हालात की , तो अनुमान तो पिछले बरस ही लगा लिए गए थे की दुनिया में इस बीमारी से सबसे ज्यादा लोग , लगभग 7 करोड़ लोग , पीड़ित होकर अपनी जान गँवा बैठेंगे। बहुत लोगों ने मंसूबे भी शायद यही पाले हुए थे और देश से लेकर विदेश तक और बाहरी से लेकर अपनों तक की दोस्ती दुश्मनी के बीच भारत पहली लड़ाई जीत कर बाहर निकल ही आया था कि अब इस दूसरी लहर ने अधिक घातक दस्तक दे दी।
रही बात भारत के वर्तमान हालात की , तो अनुमान तो पिछले बरस ही लगा लिए गए थे की दुनिया में इस बीमारी से सबसे ज्यादा लोग , लगभग 7 करोड़ लोग , पीड़ित होकर अपनी जान गँवा बैठेंगे। बहुत लोगों ने मंसूबे भी शायद यही पाले हुए थे और देश से लेकर विदेश तक और बाहरी से लेकर अपनों तक की दोस्ती दुश्मनी के बीच भारत पहली लड़ाई जीत कर बाहर निकल ही आया था कि अब इस दूसरी लहर ने अधिक घातक दस्तक दे दी।
हमारी कीड़े मकोड़े जैसे जनसंख्या , सालों से चला आ रहा कुप्रबंधन और कुव्यवस्था , आपदा विपदा के समय भी लोगों का धूर्त और स्वार्थपूर्ण आचरण , नियामक और नियंत्रक एजेंसियों का अभाव और सबसे अधिक सरकारों , प्रशासन , व्यवस्था में किसी भी तरह के तालमेल की भारी कमी। ऐसे में भारत जैसे जनसंख्या विस्फोट वाले देश में यदि इस तरह का चिकित्स्कीय आपातकाल आकर सबको हैरान परेशान कर रहा है तो ये भारत की नियति है।
लेकिन निकल तो हम इस आपदा से भी जाएँगे , तब तक खुद को सुरक्षित और स्वस्थ रखना ही अभी सबसे अधिक जरूरी है।
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मुद्दों पर मैंने अपनी सोच तो सामने रख दी आपने पढ भी ली ....मगर आप जब तक बतायेंगे नहीं ..मैं जानूंगा कैसे कि ...आप क्या सोचते हैं उस बारे में..