समय सबको अवसर दे रहा है ,कोई राम चुन रहा है कोई रावण। कोई धर्म चुन रहा है कोई पाप। कोई देश चुन रहा है कोई मज़हब। कोई नियम चुन रहा है कोई पत्थर। होने दीजिये जो हो रहा है। बोलने दीजीये जो बोल रहा है। उठ जाने दीजिए सारे नकाब उतर जाने दीजिए सारे बुर्के नुमा जाले।
जाहिलों नंगों की पहचान तो उनकी हरकतों से उनकी मंशा से कई बार तो उनके चेहरे मोहरे से भी हो जाती है ,पहचानिये उन्हें जो थाली के बीच के बैंगन की तरह दोनों तरफ हैं और असल में कहीं भी नहीं हैं। वो हैं देश के समाज के असली दीमक जो आपके साथ बैठ कर आपके साथ बोल कर आपकी ही सोच को खोखला करने का प्रयास करते हैं।
वे उन उजागर शत्रु मानसिकता और व्यवहार वालों से कहीं ज्यादा घातक और निकृष्ट हैं जो अभी तक ये नहीं तय कर पाए हैं कि असल में क्या वे यही सब कुछ अपने परिवार अपने बच्चों आने वाली नस्लों के जिम्मे भी छोड़ कर जाएंगे।
और ये आज और अभी करना या होना इसलिए भी जरूरी है क्यूंकि ये बीमारी न भी आती तो भी देश पिछले कुछ समय से एक बहुत बड़े वायरस के पूरी तरह उजागर हो जाने से जूझ तो रहा ही था। कुछ मत भूलियेगा , न राम मंदिर , न धारा 370 ,न कश्मीर , न नागरिकता न ही दिल्ली के दंगे।
सब कुछ याद रखिये और तब तक याद रखिये जब तक अब सब कुछ आर पार न हो जाए। नहीं तो हमारी आने वाली नस्लें उनके सामने भविष्य में आ रही नई मुश्किलों के अतिरिक्त विरासत में मिली इन मुश्किलों को भी निर्णायक रूप से ख़त्म न कर पाने के लिए हमें कटघरे में जरूर खड़ा करेंगी।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 20 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंपोस्ट को मान व स्थान देने के लिए आभार यशोदा जी
हटाएंसब याद रखेगी आने वाली पीढ़ी. आज जिस तरह से दुनिया बन चुकी है और बँट चुकी है, निश्चित ही हम सभी कटघरे में खड़े होंगे.
जवाब देंहटाएंसही कह रही हैं आप क्यूंकि हम सब कहीं न कहीं इसके भागीदार तो हैं ही
हटाएंनिर्णय तो हमें ही लेना होगा , अगर नहीं लिया तो आने वाली पीढ़ी हमसे पूछेगी और हम उत्तर देने के लिए नहीं होगें । हमें विभाजित करने वाली सोच को मिटाना ह़ोगा ।
जवाब देंहटाएंयही यक्ष प्रश्न हैं जिनका उत्तर सालों से तलाशा जा रहा है दीदी। स्नेह बनाए रखियेगा
हटाएंबहुत सटीक सार्थक चिन्तनपरक लेख।
जवाब देंहटाएंप्रतिक्रया देकर उत्साह वर्धन के लिए आभार आपका मित्र
हटाएंयाद रखना चाहिए सब, काश कि सब याद रखा जाये.
जवाब देंहटाएंसर्र्थक चिंतन है ... समय की प्रतीक्षा है बस ..
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