भारत का एक और पडोसी देश बांग्लादेश भी अपने पूर्ववर्ती और मूल देश पाकिस्तान की तरह ही अब फिर से वही पुराना पूर्व पकिस्तान बनने की राह पर है किन्तु बांग्लादेश का हाल और हालात आज पाकिस्तान से भी कहीं अधिक बुरे हो चुके हैं। राजनैतिक अस्थिरता के भंवर में पहले ही फंसे बांग्लादेश में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा बाढ़ की विभीषिका ने बांग्लादेश की हालत और खराब कर दी है।
बांग्लादेश की सबसे प्रमुख विपक्षी दल ने वहा के सबसे बड़े और चरमपंथ के कट्टर हिमायती हिफाजत ए इस्लाम के दबाव और प्रभाव में बांग्लादेश के छात्रों युवाओं को अदालत के एक आदेश की मुखालफत के बहाने लोकतंत्र से सत्ता में आई पार्टी और उसके नेता को दरबदर करके , सत्ता पक्ष और उसके तमाम सहयोगियों ,संस्थानों , सेना पुलिस , न्यायपालिका सबको बेदखल कर दिया और अपने राजनैतिक विरोधियों को ख़त्म भी कर दिया।
छात्रों की अगुआई वाले इस तख्ता पलट ने कुछ ही समय बाद बांग्लादेश के अर्थशास्त्री मुहम्मद यूनुस के नेतृत्त्व में एक आतंरिक सरकार का गठन भी कर लिया और सेना , पुलिस सहित सभी स्थानों संस्थाओं पर अपने मन मुताबिक़ नियुक्ति भी कर दी गई। छात्र नेता खुद भी कई जिम्मेदारियों की कमान संभाल के बैठ गए।
इस बीच दो राजनैतिक दलों , दोनों ही मुस्लिम बाहुल्य एक तीसरे चरमपंथी कट्टर समूह के प्रभाव में एक दूसरे से सत्ता और शक्ति के लिए लड़ते हैं लेकिन इसकी आड़ में फिर अपने ही देश के अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर , उनके घर ,दफ्तर ,मंदिर , दूकान सब पर हमले करके लूटपाट और उपद्रव करके उन पर भयंकर अत्याचार करते हैं।
पूरे देश के एक हीसे जहां अल्पसंख्यक आबादी रहती थी वाहन से पुलिस थाना क़ानून सबको बंद करके पूरे देश के कट्टर चरमपंथियों को अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने की खुली छूट दे दी जाती है क्यों ?? क्यूंकि उनका मानना था की सत्ता से बेदखल हुई शेख हसीना और उनकी पार्टी को अल्पसंख्यक हिन्दुओं का भी समर्थन प्राप्त था और इस कुतर्क से उनके अनुसार उन्हें अपने ही देश के नागरिकों को लूटने मारने काटने और खत्म कर देने का अधिकार मिल गया। एक अमेरिकी अखबार ने भी बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले को बदले में की गई कार्यवाई बताया।
अब हालत ऐसे है की छात्रों द्वारा बनाए गए देश के मुखिया यूनुस से ही छात्रों का सामंजस्य टूट गया है और बांग्लादेश की राजधानी ढाका समेत पुरे देश में फिर से अराजकता के अगले दौर की और बढ़ गया है। इन सबके बीच बांगलेश के मजहबी आकाओं ने अवसर पाते है अपने तालिबानी फरमानों और शरिया के पाबंदियों को लागू करने का फरमान और फतवा जारी कर दिया है। हर उस चीज़ और कार्य के विरुद्ध फतवा जारी कर दिया गया है जो मुस्लिम क़ानून में प्रतिबंधित है। गैर मुस्लिमों को भी हिजाब पहनने का हुक्म जारी हुआ है।
बांग्लादेश की सरकारी सेवाओं संस्थानों में दशकों से कार्य कर रहे हिन्दुओं को द्वारा कर मार पीट कर उन्हें जबरन नौकरी घर दूकान छोड़ने पर विवश किया जा रहा है। सबसे दुखद बात ये है कि ये सब खुलेआम हो रहा है और इसके सारे ऑडियो वीडियो प्रमाण समाचार तंत्र और इंटरनेट पर मौजूद हैं इसके बावजूद भी हिन्दुओं के इस नरसंहार पर पूरी दुनिया की चुप्पी शर्मनाक है।
बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख मुहम्मद यूनुस का भारतीय प्रधानम्नत्री मोदी को " हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात कहने के बावजूद भी स्थति में सुधार नहीं आता देख प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रीपति सहित विश्व के बहुत से देशों से बात कर बांग्लादेश में हिन्दुओं पर होते अत्याचार की पर ध्यान दिलाया। आने वाले समय में भी हिन्दुओं और दुसरे अल्पसंख्यकों के लिए बांग्लादेश में हालात चिंताजनक ही बने रहने की संभावना है खासकर जब बांदलादेश अब पूरी तरह से मज़हबी कट्टरता में फंसता और बुरी तरह धँसता राष्ट्र बन चुका है।
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मुद्दों पर मैंने अपनी सोच तो सामने रख दी आपने पढ भी ली ....मगर आप जब तक बतायेंगे नहीं ..मैं जानूंगा कैसे कि ...आप क्या सोचते हैं उस बारे में..