रविवार, 16 मई 2010

दिल्ली का प्लेटफ़ार्म ......मरते बिहारी ....और काहिल रेल मंत्री....



( ये चित्र तथा नीचे के दोनों चित्र मेरी पिछली बिहार यात्रा के हैं जो मैंने खुद अपने मोबाईल से खींचे थे और उस दिन भी कुछ वैसा ही हुआ था जैसा कि आज हुआ है )


दिल्ली से बिहार की रेल यात्रा करने का अनुभव , सिर्फ़ वो ही जान सकता है जिसने ये यात्रा की हो । लगभग तीन महीने पहले से ही सभी रेलों में आरक्षित सीटों की अनुपलब्धता , इसके बाद दलालों द्वारा चमत्कारिक रूप से उस अनुप्लबध्ता के बावजूद भारी दाम चुका कर टिकटों को खरीदना , फ़िर जाने क्या क्या सामान भर के यात्रा की शुरूआत की तैयारी करना , फ़िर प्लेटफ़ार्म पर पहुंच कर किसी जंग लडने की लडने जैसे अनुभव से गुजरते हुए रेल में बैठना, इसके बाद तमाम असुविधाओं और मुसीबतों को झेलते हुए गंतव्य तक पहुंचना । हाल ऐसा है कि हर रेल यात्रा अपने आप में एक त्रासदी बज जाती है उस यात्री और उसके परिवार के लिए । और कभी कभी तो ये यात्रा शुरू होने से पहले ही त्रासदी का रूप ले लेती है जैसे कि आज नई दिल्ली स्टेशन पर हुआ । यदि लोगों को याद होगा तो अभी कुछ वर्ष पहले भी ऐसी ही एक दुर्घटना में प्लेटफ़ार्म पर मची भगदड में बहुत से लोगों ने अपनी जान गंवाई थी और बहुत से लोग घायल हुए थे । सबसे बडा दुखद आश्चर्य ये रहा कि , ये घटना भी राजधानी दिल्ली के प्लेटफ़ार्म पर ही घटी थी , और जो ट्रेनें उस समय जाने वाली थीं वो बिहार के लिए चलने वाल्री ट्रेनें थीं और जाहिर है कि उसमें बैठ कर यात्रा करने के लिए पहुंचे यात्री जो इस दुर्घटना का शिकार हुए वे सब के सब बिहार के ही थी । क्या ये महज इत्तेफ़ाक है । इस बात को परखने के लिए कुछ तथ्यों पर गौर करना समीचीन होगा ।



राजधानी
में दूसरे राज्यों से पलायन करके रोजगार शिक्षा की तलाश में पहुंचने वालों में बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों की संख्या यदि सबसे ज्यादा नहीं तो उससे थोडा ही कम होगी । आज भी मकर संक्राति, होली , सरस्वती पूजा , दुर्गा पूजा , छठ आदि सालान त्यौहारों के अलावा विवाह , मुंडन , उपनयन , श्राद्ध , बरसी आदि जैसी परंपराओं और संस्कारों के निर्वहन के लिए सभी अपने मूल निवास में ही जाने को वरीयता देते हैं । जाहिर है कि इसका फ़ल ये निकलता है कि सभी साल में एक दो या इससे अधिक बार ग्राम यात्रा जरूर करते हैं । न सिर्फ़ यात्रा करते हैं बल्कि अपने साथ बहुत सारा सामान भी ले कर आते जाते हैं । उदाहरण के लिए यहां से कपडे लत्ते , साबुन तेल , बक्से अटैची , छाते जूते के अलावा पंखे , कुर्सियां , आदि भी लद लदा के ले जाई जाती हैं , जबकि वापसी में धान ,चावल , अब आम के मौसम में आम की बोरियां लाद कर ले आते हैं , वो भी बडे ही आदतन रूप से । भारतीय रेल की बात करें तो ऐसा नहीं है कि भारतीय रेल ने बढती भीड को और यात्रियों की बढती संख्या को देखते हुए कुछ भी नहीं किया । पिछले एक दशक में प्रत्येक वर्ष कुछ नई रेल बिहार के लिए चलाई जाती रही हैं । एक संयोग के अनुसार से पिछले काफ़ी समय में रेल मंत्रालय बिहार के ही किसी सांसद के पास रहने के कारण इसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ तो इतन हुआ ही है ।


यदि
आज की दुर्घटना की और ऐसी सभी दुर्घटनाओं की बात करें तो कुछ महत्वपूर्ण सवाल एक आम नागरिक के रूप में , दिल्ली में रहने वाले बिहार के उस निवासी के रूप में भी जो हर साल इन परिस्थितियों से गुजरता है । क्या हर साल गर्मियों की छुट्टियों में , और विशेष मौकों पर सिर्फ़ कुछ विशेष रेलगाडियों को चला कर इतिश्री कर लेने भर से रेल प्रशासन की जिम्मेदारियां खत्म हो जाती हैं । आखिरकार अभी तक बिहार उत्तर प्रदेश के लिए अलग से रेल टर्मिनल बनाने की प्रस्तावित योजना को मूर्त रूप नहीं दिया जा सका है । क्या अब समय नहीं आ गया है जब खुद यात्री ये सोचें कि इन जैसे आत्मघाती सफ़र पर निकलने के वैकल्पिक उपाय क्या हैं । क्या जरूरी है कि एक प्लेटफ़ार्म को यात्री से ज्यादा उन्हें रेल में चढाने वालों से भर दिया जाए । क्या जरूरी नहीं है कि अब एक व्यक्ति सिर्फ़ चालीस किलो सामान वाले नियम का सख्ती से पालन किया जाए ? क्या ये सोचने के जरूरत नहीं है कि आखिर हर बार ऐसा बिहार जाने वाली रेलों और उनके यात्रियों के साथ ही क्यों होता है । ऐन मौकों पर रेलों के चलने का प्लेटफ़ार्म संबंधी सूचनाएं देने वाले उन गैरजिम्मेदार रेल अधिकारियों को कभी क्यों दंडित नहीं किया जाता । मगर जब रेल मंत्री खुद ही इस तरह के बयान दें तो फ़िर ऐसी उम्मीद करना भी बेमानी ही होगी ।

भाड
में गया रेल मंत्रालय और भाड में गए उसके मंत्री संतरी , आज जरूरत इस बात को समझने की है कि बिहार जाने वाले वो लाखों यात्री इस बात को समझ लें कि जब तक वे खुद इन हालातों के लिए खुद को नहीं तैयार करेंगे , अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेंगे , खुद में बदलाव नहीं लाएंगे ..ऐसी घटनाएं , दुर्घटनाएं बार बार होती रहेंगी ..और इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि रेल मंत्री .बिहार का है या बंगाल का ...क्योंकि मरने वालों में उनका कोई नहीं होता ।

8 टिप्‍पणियां:

  1. आज दिल्ली स्टेशन के ये हादसा ......बहुत दुःख भरा रहा .

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  2. महिलाओं में श्रेष्ठ ब्लागर कौन- जीतिए 21 हजार के इनाम
    पोस्ट लिखने वाले को भी मिलेगी 11 हजार की नगद राशि
    आप सबने श्रेष्ठ महिला ब्लागर कौन है, जैसे विषय को लेकर गंभीरता दिखाई है. उसका शुक्रिया. आप सबको जलजला की तरफ से एक फिर आदाब. नमस्कार.
    मैं अपने बारे में बता दूं कि मैं कुमार जलजला के नाम से लिखता-पढ़ता हूं. खुदा की इनायत है कि शायरी का शौक है. यह प्रतियोगिता इसलिए नहीं रखी जा रही है कि किसी की अवमानना हो. इसका मुख्य लक्ष्य ही यही है कि किसी भी श्रेष्ठ ब्लागर का चयन उसकी रचना के आधार पर ही हो. पुऱूषों की कैटेगिरी में यह चयन हो चुका है. आप सबने मिलकर समीरलाल समीर को श्रेष्ठ पुरूष ब्लागर घोषित कर दिया है. अब महिला ब्लागरों की बारी है. यदि आपको यह प्रतियोगिता ठीक नहीं लगती है तो किसी भी क्षण इसे बंद किया जा सकता है. और यदि आपमें से कुछ लोग इसमें रूचि दिखाते हैं तो यह प्रतियोगिता प्रारंभ रहेगी.
    सुश्री शैल मंजूषा अदा जी ने इस प्रतियोगिता को लेकर एक पोस्ट लगाई है. उन्होंने कुछ नाम भी सुझाए हैं। वयोवृद्ध अवस्था की वजह से उन्होंने अपने आपको प्रतियोगिता से दूर रखना भी चाहा है. उनके आग्रह को मानते हुए सभी नाम शामिल कर लिए हैं। जो नाम शामिल किए गए हैं उनकी सूची नीचे दी गई है.
    आपको सिर्फ इतना करना है कि अपने-अपने ब्लाग पर निम्नलिखित महिला ब्लागरों किसी एक पोस्ट पर लगभग ढाई सौ शब्दों में अपने विचार प्रकट करने हैं। रचना के गुण क्या है। रचना क्यों अच्छी लगी और उसकी शैली-कसावट कैसी है जैसा उल्लेख करें तो सोने में सुहागा.
    नियम व शर्ते-
    1 प्रतियोगिता में किसी भी महिला ब्लागर की कविता-कहानी, लेख, गीत, गजल पर संक्षिप्त विचार प्रकट किए जा सकते हैं
    2- कोई भी विचार किसी की अवमानना के नजरिए से लिखा जाएगा तो उसे प्रतियोगिता में शामिल नहीं किया जाएगा
    3- प्रतियोगिता में पुरूष एवं महिला ब्लागर सामान रूप से हिस्सा ले सकते हैं
    4-किस महिला ब्लागर ने श्रेष्ठ लेखन किया है इसका आंकलन करने के लिए ब्लागरों की एक कमेटी का गठन किया जा चुका है. नियमों व शर्तों के कारण नाम फिलहाल गोपनीय रखा गया है.
    5-जिस ब्लागर पर अच्छी पोस्ट लिखी जाएगी, पोस्ट लिखने वाले को 11 हजार रूपए का नगद इनाम दिया जाएगा
    6-निर्णायकों की राय व पोस्ट लेखकों की राय को महत्व देने के बाद श्रेष्ठ महिला ब्लागर को 21 हजार का नगद इनाम व शाल श्रीफल दिया जाएगा.
    7-निर्णायकों का निर्णय अंतिम होगा.
    8-किसी भी विवाद की दशा में न्याय क्षेत्र कानपुर होगा.
    9- सर्वश्रेष्ठ महिला ब्लागर एवं पोस्ट लेखक को आयोजित समारोह में भाग लेने के लिए आने-जाने का मार्ग व्यय भी दिया जाएगा.
    10-पोस्ट लेखकों को अपनी पोस्ट के ऊपर- मेरी नजर में सर्वश्रेष्ठ ब्लागर अनिवार्य रूप से लिखना होगा
    ब्लागरों की सुविधा के लिए जिन महिला ब्लागरों का नाम शामिल किया गया है उनके नाम इस प्रकार है-
    1-फिरदौस 2- रचना 3-वंदना 4-संगीता पुरी 5-अल्पना वर्मा- 6 –सुजाता चोखेर 7- पूर्णिमा बर्मन 8-कविता वाचक्वनी 9-रशिम प्रभा 10- घुघूती बासूती 11-कंचनबाला 12-शेफाली पांडेय 13- रंजना भाटिया 14 श्रद्धा जैन 15- रंजना 16- लावण्यम 17- पारूल 18- निर्मला कपिला 19 शोभना चौरे 20- सीमा गुप्ता 21-वाणी गीत 21- संगीता स्वरूप 22-शिखाजी 23 –रशिम रविजा 24- पारूल पुखराज 25- अर्चना 26- डिम्पल मल्होत्रा, 27-अजीत गुप्ता 28-श्रीमती कुमार.
    तो फिर देर किस बात की. प्रतियोगिता में हिस्सेदारी दर्ज कीजिए और बता दीजिए नारी किसी से कम नहीं है। प्रतियोगिता में भाग लेने की अंतिम तारीख 30 मई तय की गई है.
    और हां निर्णायकों की घोषणा आयोजन के एक दिन पहले कर दी जाएगी.
    इसी दिन कुमार जलजला का नया ब्लाग भी प्रकट होगा. भाले की नोंक पर.
    आप सबको शुभकामनाएं.
    आशा है आप सब विषय को सकारात्मक रूप देते हुए अपनी ऊर्जा सही दिशा में लगाएंगे.
    सबका हमदर्द
    कुमार जलजला

    जवाब देंहटाएं
  3. महिलाओं में श्रेष्ठ ब्लागर कौन- जीतिए 21 हजार के इनाम
    पोस्ट लिखने वाले को भी मिलेगी 11 हजार की नगद राशि
    आप सबने श्रेष्ठ महिला ब्लागर कौन है, जैसे विषय को लेकर गंभीरता दिखाई है. उसका शुक्रिया. आप सबको जलजला की तरफ से एक फिर आदाब. नमस्कार.
    मैं अपने बारे में बता दूं कि मैं कुमार जलजला के नाम से लिखता-पढ़ता हूं. खुदा की इनायत है कि शायरी का शौक है. यह प्रतियोगिता इसलिए नहीं रखी जा रही है कि किसी की अवमानना हो. इसका मुख्य लक्ष्य ही यही है कि किसी भी श्रेष्ठ ब्लागर का चयन उसकी रचना के आधार पर ही हो. पुऱूषों की कैटेगिरी में यह चयन हो चुका है. आप सबने मिलकर समीरलाल समीर को श्रेष्ठ पुरूष ब्लागर घोषित कर दिया है. अब महिला ब्लागरों की बारी है. यदि आपको यह प्रतियोगिता ठीक नहीं लगती है तो किसी भी क्षण इसे बंद किया जा सकता है. और यदि आपमें से कुछ लोग इसमें रूचि दिखाते हैं तो यह प्रतियोगिता प्रारंभ रहेगी.
    सुश्री शैल मंजूषा अदा जी ने इस प्रतियोगिता को लेकर एक पोस्ट लगाई है. उन्होंने कुछ नाम भी सुझाए हैं। वयोवृद्ध अवस्था की वजह से उन्होंने अपने आपको प्रतियोगिता से दूर रखना भी चाहा है. उनके आग्रह को मानते हुए सभी नाम शामिल कर लिए हैं। जो नाम शामिल किए गए हैं उनकी सूची नीचे दी गई है.
    आपको सिर्फ इतना करना है कि अपने-अपने ब्लाग पर निम्नलिखित महिला ब्लागरों किसी एक पोस्ट पर लगभग ढाई सौ शब्दों में अपने विचार प्रकट करने हैं। रचना के गुण क्या है। रचना क्यों अच्छी लगी और उसकी शैली-कसावट कैसी है जैसा उल्लेख करें तो सोने में सुहागा.
    नियम व शर्ते-
    1 प्रतियोगिता में किसी भी महिला ब्लागर की कविता-कहानी, लेख, गीत, गजल पर संक्षिप्त विचार प्रकट किए जा सकते हैं
    2- कोई भी विचार किसी की अवमानना के नजरिए से लिखा जाएगा तो उसे प्रतियोगिता में शामिल नहीं किया जाएगा
    3- प्रतियोगिता में पुरूष एवं महिला ब्लागर सामान रूप से हिस्सा ले सकते हैं
    4-किस महिला ब्लागर ने श्रेष्ठ लेखन किया है इसका आंकलन करने के लिए ब्लागरों की एक कमेटी का गठन किया जा चुका है. नियमों व शर्तों के कारण नाम फिलहाल गोपनीय रखा गया है.
    5-जिस ब्लागर पर अच्छी पोस्ट लिखी जाएगी, पोस्ट लिखने वाले को 11 हजार रूपए का नगद इनाम दिया जाएगा
    6-निर्णायकों की राय व पोस्ट लेखकों की राय को महत्व देने के बाद श्रेष्ठ महिला ब्लागर को 21 हजार का नगद इनाम व शाल श्रीफल दिया जाएगा.
    7-निर्णायकों का निर्णय अंतिम होगा.
    8-किसी भी विवाद की दशा में न्याय क्षेत्र कानपुर होगा.
    9- सर्वश्रेष्ठ महिला ब्लागर एवं पोस्ट लेखक को आयोजित समारोह में भाग लेने के लिए आने-जाने का मार्ग व्यय भी दिया जाएगा.
    10-पोस्ट लेखकों को अपनी पोस्ट के ऊपर- मेरी नजर में सर्वश्रेष्ठ ब्लागर अनिवार्य रूप से लिखना होगा
    ब्लागरों की सुविधा के लिए जिन महिला ब्लागरों का नाम शामिल किया गया है उनके नाम इस प्रकार है-
    1-फिरदौस 2- रचना 3-वंदना 4-संगीता पुरी 5-अल्पना वर्मा- 6 –सुजाता चोखेर 7- पूर्णिमा बर्मन 8-कविता वाचक्वनी 9-रशिम प्रभा 10- घुघूती बासूती 11-कंचनबाला 12-शेफाली पांडेय 13- रंजना भाटिया 14 श्रद्धा जैन 15- रंजना 16- लावण्यम 17- पारूल 18- निर्मला कपिला 19 शोभना चौरे 20- सीमा गुप्ता 21-वाणी गीत 21- संगीता स्वरूप 22-शिखाजी 23 –रशिम रविजा 24- पारूल पुखराज 25- अर्चना 26- डिम्पल मल्होत्रा, 27-अजीत गुप्ता 28-श्रीमती कुमार.
    तो फिर देर किस बात की. प्रतियोगिता में हिस्सेदारी दर्ज कीजिए और बता दीजिए नारी किसी से कम नहीं है। प्रतियोगिता में भाग लेने की अंतिम तारीख 30 मई तय की गई है.
    और हां निर्णायकों की घोषणा आयोजन के एक दिन पहले कर दी जाएगी.
    इसी दिन कुमार जलजला का नया ब्लाग भी प्रकट होगा. भाले की नोंक पर.
    आप सबको शुभकामनाएं.
    आशा है आप सब विषय को सकारात्मक रूप देते हुए अपनी ऊर्जा सही दिशा में लगाएंगे.
    सबका हमदर्द
    कुमार जलजला

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  4. आज यहां टी वी पर भी देखा यह हादसा, बहुत दुख भरा

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  5. Bhai BIHARI TO MAIN bhi hoon . sare desh ki yahi halaat hai. bihari ko mat koshiye agr koshna hai to bihar sarkar ko koshiye bihar mein INFRASTRUCTURE badhaiye. Bihar mein awaz uthaye.....

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  6. प्रिय सुरेंद्र जी ,
    अपने विचारों के यहां रखने के लिए आभार । आप भी मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं जान कर अच्छा लगा । मगर मैं किसी को कोस नहीं रहा हूं न ही कोई आक्षेप लगा रहा हूं । मैं तो वो हकीकत बयान कर रहा हूं जो वास्तविकता है ,और मैं इसे खुद महसूस कर चुका हूं । आखिर बार बार ऐसी दुर्घटनाओं का दुहराव कुछ सोचने पर विवश नहीं करता ?????

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  7. झा साहब , अराजकता इस कदर फैल चुकी है कि मैं तो रोज मर्रा की जिन्दगी में इससे रोज दो चार होता हूँ और अपना खून जलाता हूँ ! हाँ जहां तक रेल का सवाल है तो मैं तो यह भी कहूँगा कि हम लोग आज वह फसल काट रहे है, जो लालू और नितीश बो गए !

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मुद्दों पर मैंने अपनी सोच तो सामने रख दी आपने पढ भी ली ....मगर आप जब तक बतायेंगे नहीं ..मैं जानूंगा कैसे कि ...आप क्या सोचते हैं उस बारे में..

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