आज देश में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है ..बल्कि यदि ये कहा जाए कि सारी सीमाएं लांघ चुका है || इसे समाप्त करने की सभी कोशिशें व्यर्थ होती दिख रही हैं ॥ अब तो ऐसा लगने लगा है कि ये घोषित अघोषित रूप से समाज में एक मान्यता सी प्राप्त कर चुका है तभी तो अब न ही कोई मुद्दा है न ही कोई समस्या कम से कम उनके लिये तो नहीं ही जो देश की संचालक शक्ति कहे जाते हैं ॥ भ्रष्टाचार के बढते जाने के पीछे बहुत से कारण हैं । मगर इसके जन्म के लिये कुछ छोटे छोटे कारण ही ज्यादा जिम्मेदार हैं । इनमें से एक कारण है लोगों में जानकारी का अभाव , ये कुछ तो लोगों की अशिक्षा के कारण है और कुछ है सरकार और प्रशासन द्वारा आम लोगों को समुचित और सही जानकारी नहीं दिये जाने की आदत ।
एक आम आदमी जब भी किसी सार्वजनिक कार्यालय , या कहें कि सरकारी दफ़्तर में पहुंचता है तो उसका सामना जिस व्यक्ति से सबसे पहले होता है वो होता है बिचौलिया या कहें कि दलाल । जी हां जो उस व्यक्ति को ये बताता है कि वो काम कैसे हो सकता है या कैसे किया जा सकता है जाहिर सी बात है कि वो उसे इस तरह से बताता है कि एक आम आदमी को ये एहसास हो जाता है कि ये पहाड पर चढने जैसा काम तो सिर्फ़ ..उसका तारणहार .वो दलाल ही करवा सकता है॥और यहीं से सिलसिला शुरू हो जाता है भ्रष्टाचार, घूसखोरी , अनैतिक काम का अंतहीन सिलसिला जो नीचे के स्तर से लेकर ऊपर के स्तर तक बेरोकटोक-बेधडक चलता चला जाता है । वो एक बैचौलिया इन सारे ओहदों तक पहुंच के लिए किसी संपर्क सूत्र की तरह काम करता है । बदले में हर काम बेकाम के लिए मनचाहे पैसे वसूल लेता है उस आम आदमी से । उस मिले पैसे में से ही वो ओहदे के अनुरूप सभी बाबू लोगों को उनका हिस्सा देता जाता है ।

अक्सर देखने में आता है कि लोग सिर्फ़ कुछ बातों के लिए ही गलत रास्तों का चुनाव करने को मजबूर हो जाते हैं । पहला काम में होने वाली देरी से बचने के लिए । यानि सभी के पास देने के लिए पैसे तो हैं मगर समय नहीं इसी बात का फ़ायदा उठाते हुए बिचौलिए/ भ्रष्ट कर्मचारी/अधिकारी अपने पैसे बनाते हैं । दूसरा होता है काम कैसे हो , इस जानकारी का अभाव । इसी अभाव में लोग पूरी प्रक्रिया को जानने समझने के झंझट से बचने के लिए और कई बार तो कोशिश करने के बावजूद भी समझ न आ पाने के कारण मजबूर होकर वही गलत रास्ता पकड लेते हैं । एक और कारण होता है वो होता है अपनी कोई गलती कोई कमी को छुपाने दबाने के लिए ये तो भ्रष्टाचार को ही और आगे बढाने जैसा होता है । अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं मानती हैं कि जिन देशों में भ्रष्टाचार है यदि उन देशों में सभी कार्यालयों में उचित स्थान पर ......एक सहायता कक्ष ....जिसमें संजीदा और सचेत ,ईमानदार लोगों की टीम हो ....यदि सच में ही ठीक से काम करे तो लगभग ३० प्रतिशत तक भ्रष्टाचार को शुरू होने से पहले ही रोका जा सकता है । अफ़सोस के अपने देश में इसकी संख्या २ प्रतिशत से भी कम है । जो भी जहां भी इस तरह के सहायता कक्ष बने हुए हैं वे या तो खाली पडे रहते हैं या उनमें तैनात कर्मियों का रवैया खुद ही इस तरह का होता है मानो वे खुद छुटकारा चाहते हों ॥

ऐसा ही एक दूसरा उपेक्षित मगर बहुत ही महत्वपूर्ण कक्ष और व्यवस्था है शिकायत कक्ष /शिकायत पेटी / शिकायत पुस्तिका ......आदि । आंकडों पर नज़र डालें तो आश्चर्यजनक रूप से देश में मौजूद इन सभी शिकायत प्रकोष्ठ, पुस्तिका, या पेटिका में कुल भ्रष्टाचार के खिलाफ़ पांच प्रतिशत भी दर्ज़ नहीं किया जाता । तो क्या लोग चाहते ही नहीं है कि ऐसा हो । नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है ।एक उदाहरण लेकर देखते हैं ..राज्य सरकार की बसों /रेलों आदि में बडे बडे अक्षरों में बहुत स्थानों पर लिखा होता है कि शिकायत एवं सुझाव पुस्तिका संवाहक के या अधीक्षक के पास उपलब्ध है , लेकिन क्या कभी आपने कोशिश की है कि उस पर शिकायत दर्ज़ की जाए । ऐसी कोई भी कोशिश कभी भी कामयाब नहीं हो पाती क्योंकि संबंधित कर्मचारी/अधिकारी ....मारपीट की नौबत तक उतर आने के बावजूद आपको वो उपलब्ध नहीं करवाएंगे । और जो आधुनिक सुविधाएं मसलन एस एम एस सेवा आदि मुहैय्या करवाई जा रही हैं उन पर खुद विभाग ही कितना संजीदा दिखता है इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि संदेश पहुंचने के बाद प्रत्युत्तर तक नहीं मिलता । , इन शिकायती साधनों को सुलभता से आम लोगों की पहुंच में लाया जाए और ,यदि इन शिकायतों को गंभीरता से लेकर उन पर कार्यवाही की जाए तो परिणाम कैसे निकलेंगे इसका अंदाजा बडी सहजता से लगाया जा सकता है ॥
अफ़सोस की बात है कि इन दोनों महत्वपूर्ण व्य्वस्थाओं से सरकार ने खुद को जिस तरह से अलग किया हुआ है या इनके प्रति जिस तरह से लापरवाह है उसे देखकर तो यही लगता है कि सरकार और प्रशासन तथा इससे जुडी सभी संस्थाएं भ्रष्टाचार को समाप्त करने के प्रति गंभीर नहीं हैं ॥ वे स्वयं सेवी संगठन जो इस दिशा में कार्य कर रहे हैं उन्हें भी इन दोनों पहलुओं की ओर सरकार और समाज का ध्यान दिलाना चाहिए ॥